ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior News) के हजीरा क्षेत्र की रहने वाली एक महिला से साथ आज रविवार को एक अप्रिय घटना होते होते बच गई। पुलिस की मुस्तैदी (Police Promptness) और ऑटो चालक की ईमानदारी (Auto Driver’s Honesty) से उनकी करीब 6 लाख की ज्वेलरी वापस मिल गई। ऑटो चालक की ईमानदारी से खुश होकर उन्होंने उसे 500 रुपये इनाम के रूप में दिए।
पड़ाव थाना टीआई विवेक अष्ठाना के मुताबिक आज रविवार की सुबह हजीरा क्षेत्र में रहने वाली एक महिला शताब्दी एक्सप्रेस से आई थी। उनके पास दो बैग थे उन्होंने रेलवे स्टेशन से ऑटो किया और उसमें बैठ गई लेकिन घर पर उतरते समय वो एक बैग उतरना भूल गई जिसमें उनकी 12 तोले सोने की ज्वेलरी और 15000 रुपये नगद थे।
बैग का ध्यान आते ही उनके होश उड़ गए वे पड़ाव थाने पहुंची पुलिस (Gwalior Police) में शिकायत दर्ज कराई। टी आई अष्ठाना ने कहा कि तत्काल वो हेड कॉन्स्टेबल विनोद और जय सिंह को रेलवे स्टेशन भेजा। वहां उन्होंने पूछताछ की और सीसीटीवी खंगाले तो एक ऑटो का फुटेज मिला , कंट्रोल रूम जाकर देखा तो ऑटो पर धुंधला सा नंबर दिखाई दिया लेकिन लगातार सर्चिंग के बाद ऑटो का नंबर मिल गया फिर रजिस्ट्रेशन के आधार पर पुलिस महलगांव में ऑटो चालक के पास पहुँच गई।
पुलिस ऑटो चालक को बैग सहित थाने ले आई , थाने पर महिला और उसके परिजन भी आ गए। महिला ने जब बैग चैक किया तो उसमें सबकुछ वैसा ही था यानि ऑटो चालक ने बैग को छुआ भी नहीं था। बैग और उसमें रखे 12 तोला सोने करीब 6 लाख के जेवर मिलते ही उनके चेहरे की गायब हंसी लौटी आई। उन्होंने इनाम स्वरूप ऑटो चालक को 500 रुपये दिए।
टी आई अष्ठाना ने कहा कि ऑटो चालक अजय शर्मा ने बताया कि वो पहले सीएनजी भरवाने हजीरा चला गया फिर लौटकर सवारी मिली उसे छोड़ने चला गया उसके बाद उसने देव उठान की पूजा के लिए गन्ने ख़रीदे और जब गन्नों को रखने के लिए डिक्की खोली तो बैग दिखाई दिया। वो गन्ने लेकर घर पहुंचा और बैग भी अंदर रख लिया वो हाथ मुंह धोने के लिए अंदर गया जब तक ऑटो चालक पुलिस के पास आता पुलिस उसके पास पहुँच गई। टीआई ने बोलै इस मामले में कोई अपराध घटित नहीं हुआ इसलिए कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....