ग्वालियर, अतुल सक्सेना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का Vocal For Local के लिए अपील करना सार्थक हो रहा है। मन की बात में रविवार को प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की थी कि वे बाजार से लोकल खरीदेंगे तो आपका त्योहार रोशन होगा साथ ही किसी गरीब भाई बहन के घर में भी रोशनी आएगी। प्रधानमंत्री की अपील के बाद अब ग्वलियर कलेक्टर (Gwalior Collector) ने भी एक ऐसा ही आदेश जारी किया है जिसमें Vocal For Local की बात की गई है।
आत्म निर्भर भारत अभियान में जुड़कर लोग एक बार फिर स्वदेशी वस्तुओं की तरफ लौट रहे हैं। सामाजिक स्तर पर इसके लिए जागरूकता लायी जा रही है। सरकार भी प्रयास कर रही है कि संस्कृति, परम्पराएं बची रहें ये अगली पीढ़ी तक जाएँ। इसीलिए Vocal For Local का कॉन्सेप्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)ने बीते रविवार को मन की बात कार्यक्रम ने दिवाली पर Vocal For Local की अपील की थी। पीएम मोदी ने कहा कि अक्टूबर का पूरा महीना ही त्योहारों के रंगों में रंगा रहा है आपको याद है न, खरीदारी मतलब ‘VOCAL FOR LOCAL’, आप local खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी। मुझे पूरा भरोसा है जो मुहिम हम सबने मिलकर शुरू की है, इस बार त्योहारों में और भी मजबूत होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप अपने यहाँ के जो local products खरीदें, उनके बारे में social media पर share भी करें, अपने साथ के लोगों को भी बताएं।
प्रधानमंत्री की अपील का असर प्रशासन पर हो रहा है। ग्वालियर जिला कलेक्टर की ओर से जारी एक आदेश में Vocal For Local की अपील दिखाई देती है, संस्कृति और परंपरा को बचने की अपील दिखाई देती है। ग्वालियर कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि दिवाली पर मिटटी के दीये बनाने वाले कुम्हारों किया जाये, दीयों की बिक्री को बढ़ावा दिया जाये। आदेश में अधीनस्थों को निर्देशित किया गया है कि दीये बेचने वालों की किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसका विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही इनसे किसी भी प्रकार की कर वसूली न की जाए।
— Mann Ki Baat Updates मन की बात अपडेट्स (@mannkibaat) October 24, 2021
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....