MP Home Minister Dr. Narottam Mishra targets opponents : मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा जितने राजनीति में महारथ रखते हैं उतना ही उन्हें धर्म का ज्ञान हैं। साधु-संतों, भागवताचार्यों, कथा वाचकों के आशीर्वाद लेने में आगे रहने वाले नरोत्तम मिश्रा हिंदू धर्म के खिलाफ बोलने वालों पर भी शास्त्रोक्त पलटवार करते हैं। उनका ऐसा ही एक अंदाज ददरौआ धाम भिंड में चल रही बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री की कथा में देखने को मिला।
गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा गुरुवार को ददरौआ धाम में चल रही बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की हनुमान कथा को सुनने पहुंचे। डॉ नरोत्तम मिश्रा ने बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री और ददरौआ सरकार महामंडलेश्वर रामदास महाराज के दर्शन किए और उनके आदेश पर पंडाल में मौजूद धर्म प्रेमियों को संबोधित भी किया।
डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मुझे धार्मिक स्थान पर जाने और प्रवचन सुनने में बहुत आनंद आता है। उन्होंने आगे अपने चिर परिचित अंदाज में कहा – यदि संत हमें याद करें ये हमारा भाग्य होता है, हम संतों को याद करें ये सौभाग्य होता है, हम संत के यहाँ चल कर जाये ये परम भाग्य होता है और संत चल कर हमारे यहाँ आ जायें तो यह महाभाग्य होता है, और इतने पर भी नहीं समझे तो दुर्भाग्य होता है।
डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यहां परेशान हाल में व्यक्ति आता है, आपके सामने अपना दुखड़ा कहता है और फिर सम्बल प्राप्त कर जाता है ऊर्जा प्राप्त कर जाता है इसलिए मैंने आपको हारे का सहारा कहा। क्या अद्भुत दृश्य हैं यहाँ का, ददरौआ धाम में भीड़ उमड़ रही है , आरसीसी वाले मिक्सर में मसाले मिक्स हो रहे हैं , हिटैची मशीन से सब्जी बन रही है , किसी ने देखी है ऐसे अद्भुत रसोई? मैंने तो नहीं देखी।
शहद, घी, मिश्री और निबौरी के उदाहरण से विरोधियों पर निशाना
डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कुछ लोग हैं ऐसे जो इसमें भी कमियां निकालते हैं, समाज में ऐसे लोग हैं जिन्हें अमृत हजम नहीं होता। चार चीजें ऐसे हैं हमारे यहाँ, प्रसंग निकल आया तो बता रहा हूँ लेकिन उन लोगों से ना जोड़ें जिनके बारे में मैं बात कर रहा हूँ। उन्होंने शहद, देशी घी, मिश्री और नीम की निबौरी के उदाहरण देते हुए इसे हजम नहीं करने वालों के नाम बताये। हालाँकि नरोत्तम मिश्रा ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनके निशाने पर उनके और सनातन धर्म का विरोध करने वाले ही थे।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....