Pink Tax : पिंक टैक्स के कारण महिलाओं का सालाना खर्च 1 लाख ज्यादा, बाजार वसूलता है अधिक कीमत

Pink Tax : क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि महिलाओं के उत्पादों की कीमत ज्यादा होती है। फिर भले वो ब्यूटी प्रोडक्ट्स हों, रोजमर्रा के काम की चीज़ें या फिर कपड़े। ये दरअसल पिंक टैक्स है लेकिन ये कोई वास्तविक या आधिकारिक टैक्स नहीं बल्कि वो एक्स्ट्रा पैसे हैं जो महिलाओं को अपने उत्पाद खरीदते समय चुकानी पड़ते हैं। इसे हम एक तरह से जेंडर बेस्ड प्राइज डिस्क्रिमिनेशन भी कह सकते हैं जो महिलाएं अपने प्रोडक्ट्स या सर्विस के लिए चुकाती हैं।

क्या है पिंक टैक्स

अगर एक अनुमान निकाला जाए तो सामान्यतया महिलाओं के प्रोडक्ट पर 7% ज्यादा पैसे लिए जाते हैं. पर्सनल केयर में  ये अंतर 13% का है। इसे पिंक टैक्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि अरसे से पिंक या गुलाबी रंग को महिलाओं से जोड़ दिया गया है। सालों पहले हुए एक अध्ययन में कहा गया था कि पिंक कलर मन और दिमाग को शांति पहुंचाता है। बस उसी के बाद से बाजार ने महिलाओं से जुड़े हर उत्पाद को गुलाबी रंग से रंग दिया। हालांकि पिछले लंबे समय से रंग को इस तरह कैटेगरी में सीमित करने पर काफी विवाद भी हुआ है लेकिन अब भी ज्यादातर जगहों पर पिंक कलर को महिलाओं से जोड़कर ही देखा जाता है। इसीलिए उनसे संबंधित अधिकांश उत्पाद भी इसी रंग के होते हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।