भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आपने भी कभी न कभी अपने दफ्तर से छुट्टी ली होगी। उसके लिए आवेदन भी दिया ही होगा। बचपन में स्कूल से छुट्टी लेने के लिए भी एप्लीकेशन लिखी होगी। स्कूल में भी सबसे पहले हमें लीव एप्लीकेशन लिखना ही सिखाया जाता है। स्कूल से छुट्टी के लिए आवेदन पत्र लिखने से लेकर दफ्तरी आवेदन तक..सबका एक फॉर्मेट होता है। एक तय भाषा शैली में ही हम छुट्टी के लिए आवेदन करते हैं, भले वो अंग्रेजी में हो या हिंदी में। क्योंकि ये आवेदन हमारे टीचर या उच्च अधिकारी के पास जाता है इसलिए शब्दों के चयन और कारण पर खास ध्यान होता है।
Fact Check : जानिये अंतरिक्ष से जुड़े ये बड़े मिथक और उनका सच
लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लीव एप्लीकेशन दिखाने जा रहे हैं, जिसके बारे में आप शायद कल्पना भी नहीं कर सकते। पहली बात तो ये बुंदेली भाषा में है, उसपर भी तुर्रा ये कि छात्र छुट्टी नहीं मांग रहे कोई एहसान कर रहे हो जैसे। इसमें लिखा हैं ‘श्रीमान मास्सब, माध्मिक पाठशाला बुंदेलखंड। माहानुभव..तो मस्साब ऐसो है कि दो दिना से चड़ रओ है जो बुखार और उपर से जा नाक बह रई सो अलग। जई के मारे हम सकूल नई आ पाहे सो तमाए पाऊ पर के निवेदन आए कि दो-चार दिना की छुट्टी दे देते, तो बडो अछ्छो रहतो और हम नई आए तो कोन सो तमाओ सकूल बंद हो जै। तुमाओ आग्याकारी शिष्य, कलुआ।’