ग्वालियर, अतुल सक्सेना। रक्षाबंधन (Rakshabandhan), दीवाली, होली जैसे त्यौहारों पर मिलावटखोर माफिया एक्टिव हो जाता है। सैकड़ों क्विंटल नकली मावा और उससे बनी मिठाई बाजार में बिकने के लिए कई दिन पहले से तैयार कर ली जाती है। ग्वालियर पुलिस ने रक्षाबंधन से पहले एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 30 क्विंटल के आसपास नकली मिलावटी मावा और उससे बानी मिठाइयां पकड़ी (gwalior police caught fake mawa) है।
ग्वालियर पुलिस (Gwalior Police) को मुखबिर से सूचना मिली थी कि राजस्थान की तरफ से एक बस में मिलावटी मावे की बड़ी खेप निकलने वाली है। एडिशनल एपी क्राइम राजेश दंडोतिया ने क्राइम ब्रांच की टीम को एक्टिव किया और गोला का मंदिर पुलिस को निर्देश देकर दोनों थानों का फ़ोर्स गोला का मंदिर चौराहे के पास तैनात कर दिया।
आज तड़के पुलिस फ़ोर्स को मुखबिर द्वारा बताई गई बस आते दिखी तो उन्होंने उसकी चैकिंग की तो उसमें बड़ी मात्रा में मावे की डलियां रखीं थी। पुलिस ने बस को पकड़ कर गोले का मंदिर थाने पर खड़ी कर दी और ड्राइवर को हिरासत में ले लिया है।
टीआई गोला का मंदिर मिर्जा आसिफ बैग ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को बताया पूछताछ में पता चला है कि ये मावा राजस्थान के मनिया से लोड किया गया था और ग्वालियर होते हुए छतरपुर जा रहा था बीच में कुछ मावा और मिठाई झाँसी में उतरनी थी। उन्होंने कहा कि ये मिलावटी मावा और इससे बनी मिठाई रक्षाबंधन पर कल खपाई जानी थी।
उन्होंने बताया कि बस में 70 डलिया और पैकेट मिले हैं जिनका वजन करीब 30 क्विंटल है। मावा पकड़े जाने की सूचना खाद्य विभाग को दे दी गई है वो इसकी सेम्पलिंग कर रहे हैं। टीआई ने कहा कि ग्वालियर पुलिस रक्षाबंधन को लेकर अतिरिक्त सतर्क है और मिलावटखोरों की हर गतिविधि पर नजर जमाये हुए है।
भाई बहन के प्यार और अटूट रिश्ते को बांधने वाले त्यौहार रक्षाबंधन की तैयारियां जोरों पर हैं। भाई और बहन दोनों बाजार में जमकर खरीददारी कर रहे हैं लेकिन कुछ समाज के दुश्मन इस त्यौहार में खलल डालने की कोशिश भी कर रहे हैं। हालाँकि पुलिस इनके खिलाफ कड़ा एक्शन ले रही है, आपको भी सावधान और जागरूक रहते हुए मिलावटी खाद्य पदार्थ और अन्य सामान को पहचानना है और उसे नहीं खरीदना है वर्ना बाद में पछताना पड़ सकता है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....