राजेश हेनरी, एडिशनल कमिशनर, आबकारी विभाग, भोपाल
अब भारत में भी देशी पद्धति से बनने वाली महुआ शराब विदेशो में पहचानी जाएगी। आपको बता दे कि दुनिया की नामी शराब जो कि किसी न किसी फल या अनाज से बनाई जाती है, लेकिन महुआ पहली एक ऐसी शराब होगी जो कि फूल से बनती है। मप्र सरकार के अनुदान से इस प्लांट को तैयार किया गया है और आदिवासी क्षेत्र के आदिवासी ही इस प्लांट को संचालित भी करेगे।
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राघवेंद्र सिंह, कलेक्टर
जिससे की आदिवासीयो को रोजगार मिलेगा ओर वो सक्षम भी होंगे। इस महुआ शराब को इलाके के आदिवासी समूह ही विक्रय भी करेंगे। आदिवासी अलीराजपुर जिले में बनने वाली महुआ शराब अब प्रदेश या देश ही नहीं विदेशो में भी पहचानी जाएगी। इसके लिए आबकारी विभाग ने प्लानिग कर ली है। महुआ को हेरिटेज स्टेटस दिलाने के लिए अब इसकी ब्रांडिग के लिए इस शराब को एमपी टूरिस्म के होटलो,एसरपोर्ट व अन्य रेस्टोरेंट में भी देखा जाएगा।
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वहीं यह शराब अन्य देशो की हरीटेज शराबो की श्रेणी में आ सकती है। देशी पद्धति से बनने वाली शराब पूरी तरह कुदरती रूप से तैयार की जाएगी। जिससे की यह शराब शरीर को ज्यादा हानी न पहुचा पाए। वहीं प्रशासन ने भी इस हेरीटेज प्लांट को लेकर तैयारीयां कर ली है। यह प्लांट 2 महीने के भीतर शुरू हो सकता है। शराब की लेबलिंग से लेकर उसकी बोटलिंग तक की तैयारीयां हो चुकी है।