29 अप्रैल को शनि देव अपने त्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश कर गए हैं और इसके साथ ही मिथुन और तुला वालों को ढैय्या से मुक्ति मिल गयी है। वहीं कर्क और वृश्चिक राशि वाले ढैय्या की चपेट में आ गए हैं। आप जानते ही होंगे कि शनिदेव का 2 प्रभाव होते हैं एक साढ़ेसाती जोकि सात साल 6 महीने और दूसरी ढैय्या जोकि ढाई साल की होती है। इस समय शनि मानव को शारीरिक और मानसिक कष्ट देते हैं लेकिन उस व्यक्ति के कर्म सही है तो फिर वह अच्छा फल भी देते हैं क्योंकि शनि ऐसे ग्रह है जो व्यक्ति को कर्मों के हिसाब से फल देता है। यहां पर मुख्य बात यह है कि शनि कुंडली के किस राशि में किस स्थान में विराजमान है।
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गौरतलब है कि 12 जुलाई से शनि देव अपनी पिछली राशि मकर में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसी स्थिति में मिथुन और तुला राशि के जातक फिर से शनि ढैय्या की चपेट में आ जाएंगे और 17 जनवरी 2023 तक इनको शनि की दशा का प्रभाव झेलना पड़ेगा। ढैय्या शुरू होने से लोगों को कैरियर में निराशा, व्यापार में असफलता हो सकती है। वहीं कुछ जरूरी काम अटक सकते हैं, कारोबार में मुनाफा अच्छा नहीं होगा या निराशा हाथ लग सकती है।
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वैसे तो शनि देव कुंभ और मकर राशि के स्वामी है। शनि देव मेष राशि में नीच के होते हैं और मकर राशि में उच्च के होते हैं। शनिदेव की शुक्र से मित्रता का और मंगल से शत्रुता का भाव रखते हैं।