फर्जी रतन टाटा फाउंडेशन फेसबुक पेज के खिलाफ होगी सख्त कानूनी कार्यवाही : रतन टाटा 

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। मंगलवार को भारत के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) ने एक जरूरी घोषणा की। उन्होंने एक स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें वो रतन टाटा फाउंडेशन (Ratan Tata Foundation) के नाम पर चलने वाले फ़ेसबुक पेज को दिखाया और उसे फ्रॉड भी बताया, उन्होंने यह भी कहा की इसके खिलाफ सख्त कारवाई भी की जाएगी। इस बार देश के प्रसिद्ध उद्योगपति भी खुद को ठगी से नहीं बचा पाए। रतन टाटा का कहना है की इस फेक फ़ेसबुक पेज के जरिए रतन टाटा के सहयोगियों से मदद के नाम पर फंड की मांग की जा रही और उन्हें ठगा जा रहा है।

यह भी पढ़े…  थोक महंगाई ने तोड़े सालों के रिकार्ड, डॉलर के सामने रुपया पड़ा फीका, जाने महंगाई और रुपये का कनेक्शन                       

उन्होंने अपने फॉलोवर्स से अपील भी की है की टाटा अपने सहयोगियों से किसी भी फंड को स्वीकार नहीं करता। दरअसल, आज यानि मंगलवार को रतन टाटा ने इंस्टाग्राम पर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया और अपने फॉलोवर्स को इस पेज को रिपोर्ट करने के लिए भी कहा। उन्होंने स्टोरी में पेज के स्क्रीनशॉट के साथ लिखा,”आपको इस धोखाधड़ी वाले पेज के बारे में बताना चाहता हूं जो मदद के बदले पैसे के लिए मेरे सहयोगियों के नाम का इस्तेमाल कर निर्दोष नागरिकों को ठग रहा है। हम किसी भी रूप में कोई धनराशि स्वीकार नहीं करते हैं।” उन्होनें पेज को रिपोर्ट करने की अपील की और एक लिंक वेरीफिकेशन के लिए शेयर किया, “कृपया हमेशा इस पते पर लिखकर प्रामाणिकता की पुष्टि करें: Talktous@tatatrusts.org”


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है। अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"