Crabs at Shiva Temple : भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोगों को बराबर का दर्जा दिया जाता है। यहां आए दिन कोई-न-कोई पूजा होती रहती है। हिंदू धर्म में खासकर भगवान शिव, ब्रह्मा व विष्णु की पूजा की जाती है। यहां हर दिन मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती रहती है। इसी कड़ी में महाशिवरात्रि आने वाली है। जिसमें भगवान शिव की पूजा- अर्चना की जाती है। उनके मंदिर में सुबह से भक्तों का तांता दिखाई पड़ता है। मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। इस दिन भक्त शिव जी का आर्शीवाद पाने के लिए व्रत भी रखते हैं। इस दिन लोग स्नान कर मंदिरों में जाते हैं और भगवान को धतूरा, दूध, फूल, मिठाई आदि अर्पित करते हैं लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि भगवान शिव को प्रसाद के रुप में जिंदा केकड़ा चढ़ाते हो। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना है भारत में ही एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान भोलेनाथ को उनके भक्तगण जिंदा केकड़ा चढ़ाते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये मंदिर कहां हैं और केकड़ा चढ़ाने का रिवाज क्यों है।
दरअसल, यह मंदिर गुजरात के सूरत जिले में स्थित है। जहां भगवान को दूध, धतूरा के बदले केकड़ा चढ़ाते हैं। यहां सदियों से यह प्रथा चली आ रही है। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि बच्चों के कानों में दर्द या फिर कान से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती। साथ ही, व्यक्ति के जीवन से जुड़ी हर प्रकार की समस्याएं खत्म हो जाती है। बता दें यह प्रथा साल में केवल एक बार एक दिन मनाई जाती है। इस बात पर विश्वास करना काफी मुश्किल है लेकिन यह सच है। तो चलिए अब हम आपको इससे जुड़ी कुछ वीडियो आपको दिखाते हैं।
न्यूज एजेंसी ANI ने एक वीडियो ट्वीट किया है। जिसके कैप्शन में लिखा गया है कि, “”गुजरात के सूरत में रामनाथ शिव घेला मंदिर में भक्त भगवान शिव को केकड़े चढ़ाते हैं।” इस वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि श्रद्धालु जिंदा केकड़ा शिवलिंग में चढ़ा रहे हैं। वहीं, कुछ लोग हाथ में केकड़ा को लिए खड़े दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान इस बात की जानकारी भी प्राप्त हुई कि सूरत के रामनाथ शिव घेला मंदिर में भक्तों द्वारा भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले केकड़ों को अनुष्ठान के बाद तापी नदी में छोड़ दिया जाता है।
इसे लेकर वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि, यह परंपरा सालों से चली आ रही है। एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि, “जिंदा केकड़ों को चढ़ाने की प्रथा साल में सिर्फ एक ही बार होती है। ऐसा करने से बच्चों के कानों में दर्द या फिर कान से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती।”
"There is a belief that if you offer crabs here then your ear-related problems will be cured, said Falguni, a devotee
"Crabs are offered here once a year. We believe that by offering crabs here our children will not have any ear pain," said Pushpa, another devotee (18.01) pic.twitter.com/4NuC8Uz6IR
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