Sagar News: एसपी के निर्देश पर सहारा प्रमुख पर 420 का मामला दर्ज

Gaurav Sharma
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सागर, डेस्क रिपोर्ट। चिटफंड कंपनी सहारा के खिलाफ सागर के एसपी तरुण नायक के निर्देश के बाद पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है। बीना में एक महिला की शिकायत के बाद यह मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के पालन में सागर के एसपी तरुण नायक ने कड़ी कार्रवाई की है। दरअसल एसपी को चिटफंड कंपनी सहारा के खिलाफ शिकायत मिली थी कि वह परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद भी निवेशकों की राशि का भुगतान नहीं कर रहे हैं।

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फरियादिया श्रीमती सुशीलाबाई पति श्री पूरन लाल अहिरवार उम्र 61 वर्ष निवासी गांधीवाड्ड सिंधी कॉलोनी बीना अपने पति पूरा लाल अहिरवार के साथ थाना उपस्थित आकर एक लिखित आवेदन पत्र इस आशय का प्रस्तुत किया था कि फरियादियों द्वारा 16 मई 2012 को सहारा इंडिया कंपनी शाखा बीना में 2 लाख रू की 11 एफडी की गई थी जिसकी परिपक्वता अवधि 16 मई 2020 को 522400 रू का भुगतान सहारा इंडिया कंपनी को किया जाना था। परंतु परिपक्वता अवधि के डेढ़ वर्ष बाद भी सहारा इंडिया कंपनी के द्वारा राशि का भुगतान नही किया गया। इस पर सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रतो राय तथा रीजनल मैनेजर राजेंद्र सक्सेना द्वारा फरियादी की राशि का गबन का धोखाधड़ी की गई,यह विवेचना मे पाया गया। फरियादी के अतिरिक्त बीना शहर के संजय नायक, शास्त्री वार्ड, बीना तथा विजय रैकवार, गणेश वार्ड, बीना तथा शहर के कई लोगों के साथ राशि की परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के पश्चात भी करोड़ों रुपए की राशि का भुगतान नहीं किया है,यह भी मालूम हुआ है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।