भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज विश्व उर्दू दिवस आज (World Urdu Day 2022) यानी आलमी यौम-ए-उर्दू है। मशहूर शायर अल्लामा इकबाल के जन्मदिन पर सारी दुनिया में ये दिन जश्न के तौर पर मनाया जाता है। उर्दू सिर्फ एक भाषा नहीं है, हमारे देश में गंगा जमुनी तहज़ीब का एक अटूट हिस्सा भी है।
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उर्दू जैसे ज़बान पर मिसरी सी घुलती हुई, उर्दू जैसे कानों में शहद सा भरता हुआ। इतनी नफ़ीस जैसे कोई रुई का फाहा, इतनी नाज़ुक जैसे शीशे की नक्काशी। ये महज़ एक ज़बान नहीं, हिंदुस्तान की तहज़ीब है। ये किसी कौम तक महदूद नहीं है, बल्कि इसकी मिठास में तो सभी डूबे हुए हैं। हमारी आम बोलचाल की भाषा में जाने हम कितने उर्दू लफ़्ज़ों का रोज़ाना इस्तेमाल करते हैं। हिंदी और उर्दू दो सगी बहनों की तरह है और ये भाषा हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। वहीं उर्दू साहित्य में शाइरी से लेकर गद्य तक की समृद्ध परंपरा है। सबसे पहल तो हमारे ज़हन में ग़ालिब का नाम ही आता हैं। उनके साथ ही खड़े हैं मीर जो अपनी खड़ी बोली के लिए मशहूर है। फिर जो सिलसिला शुरु होता है तो अल्लामा इक़बाल, अकबर इलाहबादी, अली मीनाई, अहमद फ़राज़ से लेकर फेहरिस्त खत्म ही नहीं होती। लेकिन आज यौमे पैदाइश है अल्लाम इक़बाल की तो इस खास दिन हम उनकी एक मशहूर ग़ज़ल पढ़ते हैं –