The Kashmir Files : कश्मीरी पंडितों की कहानी ट्विटर की ज़ुबानी

Gaurav Sharma
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मनोरंजन, डेस्क रिपोर्ट। यूं तो हर साल न जाने कितनी ही फिल्में भारत देश में बनाई जाती हैं, कितनी ही बनते बनते रह जाती हैं और कितनी करोड़ों रुपए का धंधा कर जाति है। पर कुछ ही फिल्में ऐसी होती हैं जो अपनी छाप इस कदर लोगों के दिल और दिमाग पर छोड़ जाती है कि भूले भुलाए नहीं भूली जाती। ऐसी ही एक फिल्म 11 मार्च को रिलीज़ हुई जिसने न केवल दर्शकों की अंतरात्मा को हिला कर रख दिया बल्कि उस सच्चाई को लोगों तक लाने की कोशिश की जिसे अब तक सिर्फ लोगों की ज़ुबानी सुना गया था।

हम बात कर रहे हैं डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स की जिसमे कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के दर्द की सच्चाई को परदे पर दिखाया गया है। इस फिल्म में मुख्य किरदार में अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती, पुनीत इस्सर, दर्शन कुमार, मृणाल कुलकर्णी, आदि हैं। फिल्म की शुरुआत होती है सीन से जिसमें बच्चों को क्रिकेट खेलते हुए दिखाया जाता है और बैकग्राउंड में भारत पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर कमेंट्री चल रही होती है। शिवा नाम का बच्चा क्रिकेट खेलते में सचिन तेंदुलकर के नाम से चीयर करता है और देखते ही देखते पूरा माहौल बदल जाता है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।