दरअसल, मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने बरगी नगर निवासी पुष्पा मर्सकोले की एक याचिका पर यह फैसला सुनाया है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुशील कुमार मिश्रा, मनीष रेजा, निर्देश पटेल, आशीष कुमार तिवारी, आजाद श्रीवास्तव व सुधीर शर्मा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अपीलकर्ता का पति तारा सिंह नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, बरगी नगर में पदस्थ था। 2013 में उसकी सेवानिवृत्ति हुईं उसे सेवाकाल के दौरान विभाग ने पदाेन्नति व क्रमोन्नति का लाभ प्रदान नहीं किया था।
वही 2020 में तारा सिंह की मृत्यु हो गई। इसके बाद पत्नी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। एकलपीठ ने याचिका इस टिप्पणी के साथ निरस्त कर दी कि दिवंगत शासकीय कर्मी ने जीवनकाल में विभाग से इस संबंध में मांग नहीं की गई थी, इसलिए उसकी विधवा पत्नी इन सभी लाभों को प्राप्त करने की हकदार नहीं है। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा।
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इस पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अपील का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि सेवानिवृत्त शासकीय कर्मी के विधवा क्रमोन्नति व पदोन्नति सहित अन्य लाभ पाने की हकदार है। अपीलकर्ता को निर्धारित समय-सीमा के भीतर सभी अपेक्षित लाभों का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। उसकी शिकायत दूर कर दी जाए। शासन केवल इस कारण से उन्हें किसी लाभ से वंचित नहीं कर सकता क्योंकि उनके पति ने उस लाभ के लिए आवेदन नहीं किया था।