ग्वालियर, अतुल सक्सेना। केंद्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) आज अल्प प्रवास पर ग्वालियर (Gwalior News) पहुंचे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए सिंधिया ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री जी ने मुझ पर विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि इस्पात किसी भी देश की प्रगति और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हम बड़ी इकाइयों के साथ साथ लघु एवं मध्यम इकाइयों को साथ लेकर इस्पात की उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर फोकस करेंगे।
मुरैना के दौरे पर आये केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) अल्प प्रवास पर ग्वालियर पहुंचे। इस्पात मंत्रालय (Union Steel Minister Jyotiraditya Scindia) का अतिरिक्त प्रभार मिलने और उड्डयन मंत्रालय में एक साल पूरा होने के अवसर पर वे अपने कुलदेवता की पूजा करने गोरखी स्थित देवघर गए और उसके बाद सिंधिया राजवंश की छतरी पहुंच कर उन्होंने दादी राजमाता सिंधिया, पिता माधव राव सिंधिया को श्रध्दासुमन अर्पित किये।
मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) जी का धन्यवाद करता हूँ कि आप लोगों ने मुझपर भरोसा किया , मैं विश्वास दिलाता हूँ कि आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा। सिंधिया ने कहा कि अभी मुझे 24 घंटे हुए हैं , मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो क्षेत्र को समझने से पहले ही व्याख्यान करूँ, मैं काम में विश्वास करता हूँ टिप्पणियां में नहीं।
उन्होंने कहा कि किसी भी देश की आर्थिक प्रगति और विकास में इस्पात का महत्वपूर्ण योगदान होता है , आज भारत इस्पात के मामले में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। हम हर साल 120 मिलियन मेट्रिक टन इस्पात उत्पादन करते हैं , मुझे विश्वास है कि हमने जो 8 साल में इसे दुगना करने का लक्ष्य निर्धारिय किया है उसे पूरा करेंगे।
सिंधिया ने कहा कि इस्पात उत्पादन में लघु एवं माध्यम इकाइयों का भी बहुत बड़ा योगदान है करीब 3 हजार इकाइयां 52 प्रतिशत उत्पादन करती हैं। हमारी कोशिश होगी कि बड़ी औद्योगिक इकाइयों के साथ लघु एवं माध्यम इकाइयों को लेकर इस्पात की उत्पादन क्षमता बढ़ाएं।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....