Ladli Bahna Yojana : पहले बेटियों की किस्मत संवारी, अब बहनों की बारी

CM Shivraj Birthday and Ladli Bahna Yojan : जब किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री की बात होती है तब उन्हें सूबे का सरताज, प्रदेश का मुखिया जैसे नामों से बुलाया जाता है। लेकिन जब बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की होती है तो ये पहचान थोड़ी बदल जाती है। आम जनता के बीच वो प्रदेश के मुखिया की तरह नहीं बल्कि बेटियों के प्यारे “मामा” के रूप में जाने जाते हैं। महिलाओं के लिए वो उनके पांव पांव वाले भईया हैं, तो किसानों के लिए उनके अपने बेटे, उनके किसान पुत्र हैं। शिवराज की ये पहचान यूं ही किताबी नहीं है, इस पहचान को बनाने के लिए शिवराज ने वाकई पांव पांव चलते हुए प्रदेश में मीलों नापे हैं, हर वर्ग को कुछ न कुछ सौगात दी है।

बात करें बेटियों की उम्मीदों के पंख को परवाज देने की तो शिवराज ने शायद ही कोई कसर छोड़ी हो। शिवराज ने 18 साल में बेटियों के लिए कई योजनाएं शुरू की, जिसमें लाडली लक्ष्मी योजना प्रदेश की फ्लेगशिप योजना के रूप में ही जानी जाने लगी है। यह योजना बेटियों के जन्म से लेकर उनकी पढ़ाई और विदाई तक उनका साथ निभाती है। इस योजना को प्रदेश की बेटियों ने इस कदर प्यार दिया कि इसका अनुसरण दूसरे राज्यों ने भी किया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।