Lok Sabha Election 2024 : सिवनी में राहुल गांधी ने फिर समझाया आदिवासी और वनवासी का फर्क, बोले- इस देश को सिर्फ 90 अफसर चलाते हैं, इसमें सिर्फ 1 आदिवासी

राहुल गांधी ने कहा कि इस देश में आदिवासियों की आबादी 8 प्रतिशत है, मैंने आंकड़े निकाले कि हिंदुस्तान की सबसे बड़ी कंपनियों में आदिवासी कितने हैं, मैनेजमेंट में आदिवासी कितने हैं केवल 200 बड़ी कम्पनियों की लिस्ट निकालो वहां एक आदिवासी नहीं मिलेगा, मीडिया, एंकर, कॉर्पोरेट कंपनियों के मालिकों की लिस्ट में दिखा वहां आपको एक आदिवासी नहीं मिलेगा। हिंदुस्तान को सिर्फ 90 IAS अफसर चलाते हैं, जिनमें सिर्फ 1 अफसर आदिवासी है। ये देश में आपकी भागीदारी है।

Atul Saxena
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Rahul Gandhi Seoni

Lok Sabha Election 2024 : इस बार लोकसभा चुनाव में राजनीतक दलों की नजर ओबीसी, दलित के साथ साथ खास तौर पर  आदिवासी वोट बैंक पर है, पार्टियों ने नेता अपनी हर रैली में सिर्फ इन्हीं की बात कर रहे हैं, आज राहुल गांधी मध्य प्रदेश एक सिवनी जिले के धनोरा पहुंचे जहाँ उन्होंने आमसभा को संबोधित करते ही वाही सब पुरानी बातें दोहराई, उन्होंने फिर आदिवासी और वनवासी का फर्क समझाया। राहुल गांधी ने इस दौरान भाजपा, पीएम मोदी, आरएसएस सबको निशाने पर लिया।

हम आपको आदिवासी कहते हैं BJP-RSS के लोग वनवासी : राहुल 

राहुल गांधी ने कहा कि यहाँ आदिवासी वर्ग के बहुत लोग हैं,  कांग्रेस पार्टी आपको ‘आदिवासी’ कहती है और भाजपा , पीएम मोदी और आरएसएस के लोग आपको ‘वनवासी’ कहते हैं। इन शब्दों के पीछे दो आलग अलग विचारधाराएँ हैं, दो अलग-अलग मायने हैं। आदिवासी शब्द का मतलब, वो लोग जो इस देश के इस जमीन के पहले मालिक थे, मतलब  जल-जंगल-जमीन पर, देश के धन पर  आपका पहला आधिकार बनता है। वनवासी शब्द का मतलब वो लोग जो जंगल में रहते हैं। वनवासी शब्द के पीछे एक विचारधारा है आपके इतिहास, आपके जीवन का तरीका को ये शब्द मिटाने की कोशिश करता है , वनवासी  का मतलब आप लोगों का जल-जंगल-जमीन पर कोई आधिकार नहीं है, जबकि आदिवासी देश का पहला मालिक है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....