न्यू यॉर्क में टाइम्स स्क्वायर पर पढ़ी गई पहली बार नमाज़, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

विदेश। रमजान का पवित्र महीना चल रहा है जिसमें पूरे विश्व के मुसलमान रोज़ा रखते हैं और इबादत करते हैं, कहते हैं ऐसा करने से अल्लाह उन्हें 70 गुना से भी ज्यादा पुण्य देता है। कहते हैं कि रमज़न के दिनों में अल्लाह ने कुरान लिखी थी जिसमें जिंदगी जीने के तरीके बताए गए हैं। यह महीना सुकून और सब्र का महीना कहलाता है जिसमें अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है।

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यूं तो नमाज़ पढ़ना किसी भी मुसलमान के लिए एक रोज़मर्रा की जिंदगी की बात है लेकिन अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के टाइम्स स्क्वायर पर पढ़ी गई नमाज़ ने इतिहास रच दिया। यह इतिहास में पहली बार हुआ जब न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर नमाज़ अदा की गई। कई हजारों की तादाद में इकट्ठे होकर मुसलमानों ने यहां नमाज़ अदा की।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।