भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। ‘बंदर के हाथ में उस्तरा’ ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। इस पुरानी कहावत का अर्थ है कि अनाड़ी या मूर्ख व्यक्ति के हाथ कोई शक्ति या अधिकार नहीं आना चाहिए। ऐसा होने पर या तो वो इसका दुरुपयोग करेगा या फिर किसी का नुकसान। इसे लेकर एक कहानी भी प्रचलित है कि पुराने समय में एक राजा की बंदर से दोस्ती थी। वो बंदर उन्हें बहुत प्रिय था और वे हमेशा उसे अपने साथ रखते थे।
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एक दिन राजा अपने शयनकक्ष में गहरी नींंद सो रहे थे और बंदर वहीं बैठा था। अचानक एक मक्खी आई और राजा को परेशान करने लगी। कभी वो राजा के गाल पर बैठती कभी कान के पास भिनभिनाती। बंदर ने उसे उड़ाने की काफी कोशिश की लेकिन मक्खी नहीं भागी। इसपर गुस्से में आकर बंदर ने मक्खी को मारने का फैसला किया और वही रखा उस्तरा या तलवार उठा ली। अब जैसे ही मक्खी राजा की नाक पर बैठी, बंदर ने झट से उस्तरा चला दिया। मक्खी तो उड़ गई लेकिन राजा की नाक कट गई। ये कहानी हमें बताती है कि मूर्ख मित्र से बुद्धिमान शत्रु भला है।