PM के मन की बात मे शहडोल, इस अधिकारी ने बदली पिछङे संभाग की तस्वीर

Gaurav Sharma
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Rajeev Sharma IAS : कहते हैं इंसान अगर चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकता है, पहाड़ पर पेड़ उगा सकता है, हर असंभव काम को संभव कर सकता है। लेकिन यह सब करने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण चीज उस इंसान के अंदर मौजूद होना चाहिए वह है ऐसा करने की भावना। कुछ लोग होते हैं जिनके अंदर कुछ कर गुजरने की भावना तो होती है लेकिन परिस्थितियां प्रतिकूल होती है और कुछ लोग होते हैं जिनकी परिस्थितियां अनुकूल होती हैं लेकिन कुछ कर गुजरने की भावना नहीं होती है।

पर क्या हो जब आपके अंदर दूसरों के लिए कुछ कर गुजरने की भावना भी हो और परिस्थितियां भी अनुकूल हो। जब ऐसा होता है तो आपके काम की सराहना आपके देश का प्रधानमंत्री 140 करोड़ देशवासियों के सामने करता है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।