ग्वालियर, अतुल सक्सेना। उत्तर प्रदेश के हाथरस में आज सड़क दुर्घटना में मारे गए 6 कांवड़ियों के शव (dead bodies of kanwariyas) उनके गांव पहुँच गए है। शवों को देखते ही गांव में मातम पसर गया। हर तरफ चीख पुकार की आवाजें आ रही थी। गुस्साए ग्रामीणों ने शवों को हाइवे पर रखकर चक्काजाम (Chakkajam with dead bodie of kanwariyas) कर दिया। वे मृतक के परिजनों को 10-10 रुपये की आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं।
चक्काजाम की सूचना पर ग्वालियर जिला प्रशासन (Gwalior District Administration) के अधिकारी उटीला बहांगी खुर्द गांव पहुंच गए। एडीएम इच्छित गढ़पाले ने मृतकों के परिजनों को समझाइश दी। उन्होंने बताया कि मृतकों में जो लोग संबल योजना में आते हैं उन्हे 4-4 लाख रुपये की सहायता दी जा रही है और जो इस योजना में नहीं है उनके भी 4-4 लाख के प्रस्ताव बनाकर भेजे जा रहे हैं।
चक्काजाम के चलते हाइवे पर भारी वाहनों की लम्बी लम्बी लाइन लग गई है। मृतकों के परिजन शवों को रास्ते से हटाने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे शवों को नहीं हटाएंगे। उधर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
आपको बता दें कि हादसा शुक्रवार शनिवार की देर रात डेढ़ से दो बजे के आसपास हाथरस में कोतवाली सादाबाद बढ़ार (Kanwariyas die in road accident in Hathras) चौराहे पर हुआ । मृतकों के साथी कांवड़िये की माने तो ढाबे में खाना खाने के बाद सभी वही बैठे थे कि तभी ड्राइवर ने उन पर डंपर चढ़ा दिया। घटना के बाद ड्राइवर डंपर लेकर भाग निकला।
बताया जा रहा है कि 42 लोगों का जत्था एक साथ गंगाजल लेकर जा रहा था। इसमें ग्वालियर जिले के बहांगी खुर्द गांव उटीला के भी लोग शामिल थे। हादसे में जबर सिंह जाटव (20), रणवीर सिंह जाटव (25), मनोज कुमार पाल (30), रमेश पाल (40), नरेश पाल (40) और विकास शर्मा (22) की मौत हुई है। बड़ा गांव हाइवे पर कई घंटे के जाम प्रशासन के 4-4 रुपये का मुआवजा देने और 6-6 लाख मुआवजे का प्रस्ताव शासन को भेजने आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने चक्काजाम खोला। राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने मुआवजा शीघ्र दिलवाने का भरोसा ग्रामीणों को दिया है।
हाथरस DM रमेश रंजन ने सभी मृतक कांवड़ियों के परिजन को 1-1 लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की है। पुलिस अधिकारियों के हादसा जिस हादसा सादाबाद – ग्वालियर रूट पर हुआ वो रूट कांवड़ यात्रा का पारंपरिक रूट नहीं है। इस कारण इस रूट पर कांवड़ियों के लिए ट्रैफिक बंद नहीं किया जाता। पारंपरिक रूट पर कावड़ियों को सुरक्षित रास्ता देने के लिए ट्रैफिक बंद किया जाता है। लेकिन कांवड़ियों ने ऐसा रूट चुना जिस पर बड़े वाहनों का भी आवागमन चालू था।
About Author
Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....