मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में एमपी के पेंशनरों को 17% और केंद्र के पेंशनरों को 34 प्रतिशत महंगाई राहत मिल रही है, ऐसे में तुलना करें तो प्रदेश के पेंशनरों को हर महीने मिलने वाली पेंशन में कम से कम 1200 रुपए और अधिकतम 17000 रुपए प्रति माह का नुकसान हो रहा है। मप्र में पेंशनर्स को न्यूनतम 7750 रुपए पेंशन मिल रही है जबकि पेंशन की अधिकतम राशि 1 लाख 10 हजार रुपए तक है।अधिनियम के तहत जब तक दोनों राज्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ महंगाई राहत बढ़ाने पर सहमत नहीं होते तब तक पेंशनरों को पुरानी महंगाई राहत ही दी जाएगी।
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दरअसल,वर्तमानमें मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों (MP Employees DA Hike) को 31% महंगाई भत्ता मिल रहा है, लेकिन पेंशनरों (MP Pensioners) को अब तक 17% डीआर ही दिया जा रहा है। हालांकि शिवराज कैबिनेट ने डीए के साथ डीआर में भी 11 प्रतिशत बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी है और कर्मचारियों को 31% DA का भी लाभ मिलने लगा है, लेकिन पेंशनरों को अब भी इंतजार है, क्योंकि आदेश जारी करने के लिए मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) की संवैधानिक बाध्यता के कारण छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है।इसके लिए बीते दिनों मप्र के वित्त विभाग ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र भी लिखा था, लेकिन उस पर सहमति नहीं दी गई है।
कमलनाथ भी कर चुके है मांग
हाल ही में पूर्व सीएम एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि मध्यप्रदेश के 4.50 लाख से अधिक शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त पेंशनर्स 17% महंगाई राहत की मांग निरंतर कर रहे हैं, लेकिन उन्हें 17% महंगाई राहत अब तक नहीं दी गई है। जुलाई 2022 से शासकीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को देय DA में वृद्धि होना भी सम्भावित है। पेंशनर्स इस लाभ को पाने के भी हकदार होंगे। महंगाई राहत का अंतर भी अत्यधिक हो जाएगा। भारत सरकार में कर्मचारियों और पेंशनर्स को DA/DR साथ-साथ देने की नीति का पालन होता आ रहा है परन्तु MP में इस नीति का पालन वर्षाे से नहीं हो रहा है।कर्मचारियों और पेंशनर्स को तत्काल महंगाई राहत एवं एरियर्स देने के आदेश जारी करायें।