भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कठपुतली (puppet show) का खेल विश्व के प्राचीनतम खेलों में से एक है। ये अलग अलग स्थानों पर हमेशा से रंगमंच पर खेला जाता रहा है। कठपुतली का खेल एक समय बेहद लोकप्रिय था और इसे देखने के लिए बड़े बड़े सभागार भर जाते थे। इसमें काष्ठ यानी लकड़ी से बने पुतले-पुतलियां होते थे इसीलिए इसे कठपुतली नाम दिया गया। हालांकि बाद में इन्हें पेरिस प्लास्टर या कागज की लुगदी से भी बनाया जाने लगा। कई पौराणिक आख्यानों में इसका उल्लेख है। इन्हें कथा के अनुसार विविध प्रकार के गुड्डे, गुड़िया, राजा, रानी, जोकर आदि के रूप में ढाला जाता और फिर इनका मंचन किया जाता।
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कठपुतली के सबसे प्रचलित रूप में एक है धागे से उन्हें नचाना। इसमें कठपुतली वाला अपनी उंगलियों में धागे बांधता जिससे कठपुतली बंधी होती। अब वो स्टेज के पीछे से उन्हें उंगलियों पर नचाया रहता। साथ में संगीत या डायलॉग चलते रहते। लेकिन इसके अलावा भी कई तरह के खेल दिखाए जाते रहे हैं। नन्हीं नन्हीं कठपुतलियों से लेकर मानव आकार के पुतले भी बनाए जाते हैं।