क्या आपको भी है जरूरत से ज्यादा खाने की आदत, तो हो जाइए सावधान!

हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। फूडी होना अलग बात है और पेट भरने के बाद भी खाते चले जाना एक अलग बात है। फूडी तो वो हुए जिन्हें खाने का शौक होता है, जो हर नई चीज को खाने से कतराते नहीं बल्कि उसका मजा लेते हैं। वहीं ज्यादा खाने की आदत यानि ऐसी आदत जिसमें आपको जो मिला आप खाते चले जाते हैं, बिना ये सोचे कि आपका पेट भर चुका है।

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पर खाना सिर्फ इसलिए क्योंकि वो चीज आपके सामने रखी है? अगर, आपको भी ऐसी कोई आदत है तो सावधान होने का वक्त आ चुका है। ये जान लीजिए की इस आदत के लिए फूडी, चटोरे जैसे शब्द बहुत छोटे हैं दरअसल ये एक तरह की समस्या है जिसका सीधा कनेक्शन आपके मानसिक स्वास्थ्य से भी हो सकता है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।