टीकमगढ़ : आयुर्वेदिक अस्पताल चढ़े लापरवाह सिस्टम की भेंट, जानें कैसे

टीकमगढ़,आमिर खान। आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा पद्धति की नींव रहा हैं। इसका प्रमाण हाल ही में कोरोना काल में देखने को भी मिला। जहाँ एलोपैथी और होम्योपैथी से डॉक्टर बीमारी का इलाज कर रहे थे। वहीं बहुत बड़ी संख्या में आयुर्वेद ने भी कोरोना के मरीजों का इलाज किया। आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय बना रखा हैं। मध्यप्रदेश सरकार भी आयुर्वेद पर बहुत काम कर रही हैं। लेकिन जमीनी हालात कुछ अलग ही हैं। अगर टीकमगढ़ की बात करें तो लगभग आधे आयुर्वेदिक अस्पताल ऐसे हैं, जहाँ डॉक्टर ही नहीं हैं। तो सरकार की मंशा पूरी कैसे होगी।

बता दें कि टीकमगढ़ जिले के आयुष विभाग के अंतर्गत कुल 28 आयुर्वेदिक सेंटर आते हैं। इन सेंटरों के लिए मध्यप्रदेश सरकार लाखों रुपए उपलब्ध कराती है। इसके बावजूद यहां डॉक्टरों की कमी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इन 28 सेंटरों में से सिर्फ 12 सेंटरों पर ही डॉक्टर उपलब्ध हैं। अन्य 16 आयुर्वेदिक सेंटर पर डॉक्टर नहीं हैं। कोरोना काल में कवच का काम करने वाले आयुर्वेदिक अस्पताल लापरवाह सिस्टम की भेंट चढ़े हुए हैं।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”