इंदौर की आकाशवाणी पर शिकंजा, अनाउंसर उतरे सड़क पर

इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। ये आकाशवाणी इंदौर है ये गूंज अब रेडियो पर नही सुनाई दे रही है इसी का परिणाम है कि अब कैज्युल अनाउंसर अब सड़को पर उतरकर कह रहे है ये आकाश वाणी इंदौर था। दरअसल, आकाश वाणी इंदौर के ब्रॉडकास्ट बंद कर दिया गया है और इंदौर रेडियो के लिहाज से के केवल रिले केंद्र बन गया है। बता दे कि इंदौर आकाशवाणी केंद्र को रिले केंद्र बनाकर भोपाल से ब्रॉडकास्टिंग की जा रही है। जिसके चलते बड़ी संख्या में कैज्युल अनाउंसर और कम्पेयर्स ने शिवाजी वाटिका पर विरोध प्रदर्शन किया।

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बता दे कि इंदौर में 1952 से शुरू हुई आकाशवाणी इंदौर की ब्रॉडकास्टिंग सेवाएं अब बंद होने जा रही है इसी बात से नाराज आकाशवाणी के कैजुअल अनाउंसर और कैम्पियर्स द्वारा गुरुवार सुबह शिवजी वाटिका पर अकाशवाणी बंद करने को लेकर विरोध किया गया। जानकारी के मुताबिक 74 साल पहले इन्दौर में चालू हुई आकाशवाणी सेवाएं बंद होने के बाद अब इंदौर में ब्रॉडकास्टिंग भोपाल से की जा रही है और इंदौर से इसे बंद कर भोपाल से ब्रॉडकास्टिंग की जाएगी। जिसका विरोध गुरुवार को आकाशवाणी के कैजुअल अनाउंसर और कैम्पियर्स ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि 1952 से चल रही इंदौर आकाशवाणी बंद नही की जाए इंदौर आकाशवाणी बंद होने से इंदौर के हजारों श्रोता मालवी निमाड़ , लोक कला को नही सुन पाएंगे। क्योंकि भोपाल से शुरू होने जा रही इंदौर अकाशवाणी को अब रिले केंद्र बनाने की जुगत हो रही है और इसे अब भोपाल से ही संचालित किया जाएगा। विरोध में शामिल कैज्युल अनाउंसर हाथों में तख्तियां लेकर सरकार से गुहार लगा रहे है कि करीब 74 साल से इंदौर से संचालित की जा रही आकाशवाणी को इंदौर से बंद न किया जाए क्योंकि इंदौर से जुड़े सुनने वाले लोक कलाओं सहित स्वास्थ्य, कृषि से जुड़ी जानकारी मालवी और निमाड़ी भाषा मे सुनते है और उन्हें बुंदेलखंड भाषा में कुछ समझ नही आ रहा है।


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Harpreet Kaur