जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। मूड के लिए अक्सर कहा जाता है कि आज मूड बहुत अच्छा है यानि हैप्पी है, कभी झुंझला कर कहा जाता है कि मूड बहुत खराब है यानि सेड है, जिस तरह आपका मूड कभी हैप्पी कभी सेड होता है उसी तरह आप जो फूड खाते हैं वो भी कभी हैप्पी कभी सेड होता है, आप के सामने जब खाने से भरी थाली सज कर आती है तो अचानक मूड बदल ही जाता है, कई तरह के खाने देखकर उन्हें तुरंत खाने का मन करता है और खाने के साथ पेट भी भरता है और मूड भी खुश रहता है, जो फूड आपके जुबान के जायके के साथ साथ सेहत का जायका भी बढ़ाए वो हैप्पी फूड (happy foods) है, लेकिन जिस खाने को खाने के बाद आपका मूड खराब हो जाए और आपकी एनर्जी भी कम हो वो सेड फूड की कैटेगरी में आते हैं।
क्या है फूड और मूड के पीछे की साइंस
ये समझ लीजिए कि दिमाग और पेट के बीच सीधा संबंध है, पेट ठीक से काम करेगा तो दिमाग भी स्वस्थ महसूस करेगा, यही वजह है कि गैस्ट्रोइंटेस्टिनल पाइप को सेकंड ब्रेन भी कहा जाता है, यही जीआई ट्रैक कई तरह के बैक्टीरिया का घर होता है, जो शरीर के पाचन को प्रभावित करता है, यहीं से डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर दिमाग तक संदेश भी ले जाते हैं, हैप्पी फूड्स खाने से अच्छे बैक्टीरियाज इन न्यूरोट्रांसमीटर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, जबकि बैड फूड उन पर बुरा असर डालते हैं, जिसका सीधा असर दिमाग पर भी दिखाई देता है, हैप्पी फूड्स खाने से दिमाग में पॉजीटिविटि रहती है जबकि सैड फूड खाने से स्ट्रेस बढ़ता है।
>> हैप्पी फूड की लिस्ट में आते हैं रंग बिरंग खूबसूरत फल और सब्जियां, खासतौर से बेरीज और भाजी मछली और चिकन भी हैप्पी फूड में आता है, रेड मीट उसे बनाने के तरीके से अपना मिजाज चुनता है।
>> सभी तरह के ड्राईफ्रूट्स और इन दिनों प्रचलन में रहने वाली बीजें।
>> डॉर्क चॉकलेट और ऐसे खाद्य पदार्थ, जो ब्लड शुगर को ज्यादा न बढ़ाएं।
>> हाई फाइबर फूड्स भी गुड फूड की कैटेगरी में आते हैं।
>> इसमें वो खाने शामिल हैं जो पहले तो अपने स्वाद से ललचाते हैं लेकिन बाद में आपकी एनर्जी को कम करते हैं, इसमें बहुद ज्यादा प्रोसेस्ड फूड शामिल हैं, इसके अलावा बहुत ज्यादा रासायनिक खाद और कीटनाशकों के छिड़काव वाले खाने भी सेड फूड का हिस्सा हैं।
>> कम फाइबर वाले और शुगर बढ़ाने वाले खाने तो सेड फूड होने ही हैं।
>> जिन खानों को ज्यादा देर प्लास्टिक कंटेनर या पॉलीथीन में रखा जाता है या जिनमें आर्टिफिशियल कलर्स का इस्तेमाल होता है, वो भोजन भी सेड फूड में ही शामिल माना जाता है।
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Amit Sengar
मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।
वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”