Doggy Dhaba In MP: कुत्ते इंसान के सबसे सच्चे और वफादार दोस्त होते हैं जो कभी भी उनकी मदद के लिए पीछे नहीं हटते। उन्हें पालने वाले कई लोग ऐसे हैं जो उन पर अपनी जान छिड़कते हैं और जहां भी जाते हैं इन्हें अपने साथ लेकर जाते हैं। सब कुछ होने के बावजूद भी कुछ ही जगह ऐसी है जहां पर इन चार पैरों वाले मेहमान का स्वागत किया जाता है। देश में ऐसे बहुत कम रेस्टोरेंट या होटल हैं जहां इनके लिए सुविधा मिलती है। लेकिन अब बदलते वक्त के साथ जगहों में भी बदलाव आ रहा है और इन वफादारों का ख्याल रखने की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
हर शहर में हम अलग-अलग तरह के ढाबे और रेस्टोरेंट खुले हुए देखते हैं। जहां पर जाकर स्वादिष्ट लजीज पकवानों का आनंद हम सभी ने कभी ना कभी लिया ही है। लेकिन अब हमारे साथ हमारे पालतू जानवर के लिए भी एक शानदार जगह खुली है। आप अपने डॉगी को लेकर जा सकते हैं।
अगर आप भी डॉगी पालने के शौकीन है और किसी ऐसी जगह की तलाश में है जहां आप अपने पेट को घुमाने के साथ लजीज पकवान भी खिलाना चाहते हैं। तो मिनी मुंबई यानी इंदौर में अब यह सुविधा उपलब्ध है। यहां पर आपका डॉगी जायकेदार खाने का स्वाद चख सकेगा।
इंदौर के मेघदूत नगर में एक दंपत्ति ने इस डॉगी ढाबे की शुरुआत की है। यहां पर कुत्तों के लिए मांसाहारी, शाकाहारी, बेकरी आइटम्स और सप्लीमेंट्स मौजूद है। अगर आप यहां तक जा नहीं सकते हैं तो ऑनलाइन ऑर्डर देकर खाना मंगवा भी सकते हैं।
इस स्पेशल ढाबे पर आप अपने कुत्ते के जन्मदिन के सेलिब्रेशन के साथ उसके ठहरने की व्यवस्था भी कर सकते हैं। यहां रविवार के दिन कुत्तों के लिए स्पेशल चिकन बिरयानी बनाई जाती है और अपने आप में यह वाकई में अनोखा ढाबा है, जहां आप अपने पेट के साथ जा सकते हैं।
इतनी है खाने की कीमत
इस डॉगी ढाबे पर आपको 7 रुपए से लेकर 700 रुपए तक के खाने की आइटम मिल जाएंगे। यहां पर स्पेशल केक भी तैयार किए जाते हैं जो कुत्तों को अच्छे लगते हैं इनकी डिजाइन भी उनके पसंद के अनुरूप होती है।
बलराज झाला और उनकी पत्नी मिथलेश ने मिलकर इस अनोखे ढाबे की शुरुआत की है। यह दोनों खुद भी डॉग लवर है और यही वजह है कि उन्होंने अपने ढाबे में कुत्तों के रहने खाने और जन्मदिन सेलिब्रेट करने की सारी व्यवस्था की है।
इस दंपत्ति को कुत्तों के लिए ढाबा खोलने का विचार कोरोना काल में आया। जब उन्होंने देखा कि इंसानों के साथ कुत्तों को भी खाने पीने की चीजों की व्यवस्था करने में बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है।
इसके बाद दंपती ने सोचा कि वह एक न एक दिन कुत्तों के लिए कुछ ना कुछ अलग व्यवस्था जरूर करेंगे। झाला 2019 में एक होटल में काम करते थे और रात में लौटते वक्त हमेशा कुत्तों को खाना खिलाते थे। कोरोना में उनका यह नियम टूट गया और नौकरी भी चली गई।
नौकरी जाने की परेशानी तो थी ही साथ में वह इस बात से भी परेशान थे कि उन कुत्तों का क्या हो रहा होगा जिन्हें वह रोज खाना खिलाया करते थे। हालांकि, उस समय मजबूरी में कुछ कर नहीं सके लेकिन उसके बाद तय किया कि कुत्तों के भोजन और ठहरने की व्यवस्था के लिए ढाबा खोलेंगे।
दंपत्ति के मुताबिक अपने पालतू जानवर के अलावा कुछ लोग स्ट्रीट डॉग्स को भोजन भी कराते हैं और कई बार डॉग लवर बल्क में आर्डर करते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने मोहल्ले का कुत्तों को खाना खिलाते हैं। वहीं कई बार जब पूरा परिवार बाहर जा रहा होता है तो अपने पालतू कुत्ते को हमारे यहां पर छोड़ कर चला जाता है ताकि उसकी अच्छे से देखभाल हो सके। इस ढाबे पर पालतू जानवर के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध है।
About Author
Diksha Bhanupriy
"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है।
मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।