ग्वालियर, अतुल सक्सेना। राजधानी भोपाल में सोमवार 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day , janjatiy Gaurav Divas) का आयोजन किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के मुख्य आतिथ्य आयोजित किये जा रहे इस कार्यक्रम को लेकर जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) सहित भाजपा कार्यकर्ताओं में जितना उत्साह है उससे कहीं अधिक आदिवासी समाज में उत्साह है आदिवासी समाज के लोग भोपाल पहुँचने भी लगे हैं लेकिन विपक्ष इसे आदिवासियों के वोट बटोरने की कवायद बता रही है।
भगवान बिरसा मुंडा (Bhagwan Birsa Munda) की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को कांग्रेस आदिवासियों को लुभाने और उनके वोटों को बटोरने की कवायद बात आरही है। कांग्रेस नेता जनजातीय गौरव दिवस को लेकर भाजपा पर लगातार हमलावर हैं।
कांग्रेस के आरोपों का केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया है। उन्होंने पलटवार करते हुए कह ाकी जो दल इस प्रकार की चर्चा चर्चा कर रहे है वो सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं। भारतीय जनता पार्टी वोट की राजनीति नहीं करती। सारा देश इस बात का साक्षी है कि जनजातीय समाज से ऐसे ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने देश की आजादी में बहुत योगदान दिया है, अपने प्राणों की आहुति भी दी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आदिवासी समाज के ऐसे हुतात्माओं का हमेशा सम्मान किया हैं उनकी याद को हमेशा बनाये रखने के लिए मूर्तियां स्थापित की हैं, स्मारक बनवाये हैं। उन्होंने कहा कि गोंडवाना क्षेत्र में रानी दुर्गावती ,रघुनाथ शाह – शंकर शाह, मालवा में टंट्या भील यानि टंट्या मामा हो, झारखण्ड में भगवान बिरसा मुंडा का नाम आता है।
मध्य प्रदेश सरकार ने आजादी के बरसों बाद ने जबलपुर रघुनाथ शाह – शंकर शाह की प्रतिमा स्थापित की, रानी दुर्गावती की प्रतिमा स्थापित की , टंट्या मामा की प्रतिमा स्थापित की। अब केंद्र सरकार ने तय किया है कि जनजातीय समाज के आदर्श भगवान बिरसा मुंडा का जन्म दिन जनजातीय गौरव दिवस हर साल मनाया जायेगा इसलिए मध्य प्रदेश सरकार 15 नवम्बर को ये कार्यक्रम कर रही है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....