इंदौर, आकाश धोलपुरे। भारत रत्न, स्वर कोकिला लता दीदी (Bharat Ratna Lata Didi) आज दुनिया को अलविदा कह गई। अपनी आवाज से दुनिया को मंत्रमुग्ध करने वाली लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का मध्य प्रदेश(MP News) से गहरा नाता है। उनका जन्म इंदौर (Indore News) के सिख मोहल्ले में हुआ था। लता दीदी के निधन के बाद इंदौर में लोग मायूस हैं। आपको बता दें कि जिस घर में लता मंगेशकर का जन्म हुआ था आज वहां कपड़े का शोरूम है। लता दीदी के अंतर्मन में हमेशा इंदौर और यहाँ का सराफा बसा रहा उन्हें सराफे की खाऊ गली के गुलाब जामुन, रबड़ी और दही बड़े बहुत पसंद थे वे जब भी इंदौर के लोगों से मिलती या फोन पर बात करती उनसे पूछती – सराफा तसाच आहे का ?
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मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में पिछले 24 दिनों से जिंदगी की जग लड़ रही सबकी प्यारी लता दीदी ने आज 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। अपनी सुरीली आवाज से न सिर्फ संगीत जगत बल्कि दुनिया में अपना नाम रोशन करने वाली लता दीदी ने भारत का नाम रोशन किया है। इंदौर के सिख मोहल्ले में उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का घर था। जहाँ 28 सितंबर 1929 को लता दीदी का जन्म हुआ था। बता दें कि इंदौर के जिस सिख मोहल्ले में दीनानाथ मंगेशकर का घर था, वहां एक समय में सिख रेजीमेंट हुआ करती थी और उस समय मराठी संस्कृति से इंदौर सराबोर था।
जन्म के 7 साल तक लता मंगेशकर यहाँ रही उसके बाद लता दीदी का पूरा परिवार मुंबई में शिफ्ट हो गया था। मंगेशकर परिवार के जाने के बाद एक मुस्लिम परिवार ने घर ख़रीदा , कुछ साल रहने के बाद उन्होंने बलवंत सिंह को घर बेच दिया। बलवंत सिंह लम्बे समय तक यहाँ रहे बाद में उन्होंने नितिन मेहता को घर बेच दिया।
इंदौर स्थित लता दीदी का घर अब नई शक्ल में है लेकिन आज भी जब लोग उस बिल्डिंग के करीब से गुजरते है तो लोग स्वर कोकिला को ही याद करते है। अब उनका इंदौर स्थित मकान मेहता परिवार की संपत्ति है। जहां पर मेहता क्लॉथ शो रूम है। हालांकि, मेहता परिवार भी लता दीदी को नहीं भूलता है। उन्होंने लता दीदी का एक खूबसूरत म्यूरल अपने शोरूम पर लगाया है।
रविवार को जैसे ही लोगों को पता चला कि स्वर कोकिला नहीं रही वैसे ही लोगों मे शोक की लहर छा गई और कई लोग तो उनके पुराने निवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। बच्चों से लेकर बड़ों तक के जेहन में लता मंगेशकर की आवाज हमेशा रहती है लिहाजा, अब मेहता क्लॉथ शोरूम पर लोगों की भीड़ पहुंच रही है। हालांकि दो बार उनकी जन्म स्थली वाला घर बिक चुका है बावजूद इसके मेहता परिवार सहित समूचा इंदौर लता मंगेशकर का जन्म इंदौर की धरती पर होने को लेकर किसी बड़े सौभाग्य से कम नहीं मानते है।
लता दीदी से संपर्क रखने वाले बताते हैं कि लता दीदी को इंदौर के सराफे की खाऊ गली हमेशा याद रही। उन्हें वहां मिलने वाले गुलाब जामुन, रबड़ी और दही बड़े बहुत पसंद थे। जब भी इंदौर के लोग उनसे मिलते या वो किसी अपने परिचित से इंदौर में बात करती तो हमेशा पूछती – सराफा तसाच आहे का ? यानि सराफा अब भी वैसा ही है क्या ? लता दीदी के निधन से आज पूरा संगीत जगत स्तब्ध है उसकी आँखें नम है , एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ परिवार भी लता दीदी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....