Gwalior News : ग्वालियर में एक युवक की कुएं में गिरने से मौत हो गई, खास बात ये है कि युवक को बाहर निकालने में स्थानीय प्रशासन को 12 घंटे से अधिक का समय लग गया इसमें भी उसे SDRF की मदद लेनी पड़ी। मृतक की पहचान लल्लू भदौरिया निवासी कोटेश्वर कॉलोनी के रूप में हुई है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि ये महज दुर्घटना है या फिर युवक ने आत्महत्या की है।
घर से निकला युवक कुएं में गिरा
शहर के ग्वालियर पुलिस थाने की कोटेश्वर कॉलोनी स्थित काली माता मंदिर के पास बने कुएं में एक युवक के गिरने से मौत हो गई, घटना बुधवार देर शाम की बताई गई है, जब मृतक लल्लू भदौरिया बहुत देर तक दिखाई नहीं दिया तो परिजनों ने उसकी खोज की, किसी ने बताया कि एक युवक कुएं में गिरा है ।
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नगर निगम का अमला युवक को निकाले बिना लौटा
युवक के कुएं में गिरने की सूचना नगर निगम फायर ब्रिगेड को दी गई , फायर अमला सूचना के करीब 2 बाद पहुंचा, लेकिन देर कोशिश करने के बाद युवक को बाहर निकाले बिना वापस लौट गया, उसने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना तक नहीं दी, देर रात किसी ने पुलिस को इसकी सूचना दी।
कलेक्टर के निर्देश पर SDRF की टीम पहुंची, अँधेरे के कारण लौट गई
सूचना मिलते ही एडिशनल एसपी ऋषिकेश मीणा एक्शन में आये उन्होंने एसपी राजेश चंदेल से बात की , एसपी ने कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को घटना की जानकारी दी, इसके बाद एसडीआरएफ की टीम को मौके पर भेजा गया लेकिन अँधेरा ज्यादा होने के कारण टीम वापस लौट गई।
SDRF ने आज सुबह निकाला युवक का शव
आज सुबह SDRF की टीम फिर कुएं पर पहुंची और रस्सियों की मदद से युवक को बाहर निकाला लेकिन करीब 12 घंटे से भी अधिक समय लगने से उसकी मौत हो गई, पानी में बॉडी पड़ी रहने से अकाद गई थी, पुलिस ने शव की जाँच कर पंचनामा बनाकर उसे पीएम के लिए भेज दिया ।
पुलिस जाँच में जुटी, ये दुर्घटना है या आत्महत्या
मृतक के परिजनों के मुताबिक कल उनके यहाँ तेरहवीं थी, मृतक लल्लू शराब पिए हुए थे , घर पर वे कुछ उल्टा सीधा बोल रहे थे और बोलते हुए घर से निकल गए, जब वे बहुत देर तक नहीं लौटे तो खोज की गई तब मालूम चला कि कुएं में गिर गए हैं, उधर पुलिस का कहना है कि ये दुर्घटना है या आत्महत्या ये जाँच के बाद ही पता चल सकेगा।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....