Chhatarpur News : पुलिस की नौकरी बहुत कठिन होती है ये सच है। यही कारण है कि बहुत से पुलिसकर्मी इससे मुंह चुराते हैं, लेकिन इसी महकमे में कुछ ऐसे भी कर्मचारी होते हैं जो ना सिर्फ पूरी शिद्दत से ड्यूटी निभाते हैं बल्कि दूसरों के लिए एक मिसाल भी बन जाते हैं। ऐसी ही एक कर्मचारी हैं महिला पुलिस आरक्षक उपासना यादव, जो इस समय पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।
छतरपुर शहर के सिविल लाइन थाने में पदस्थ महिला पुलिस आरक्षक उपासना यादव एक साथ दो फर्ज निभाती हैं, आप चौंकिए नहीं पुलिस महकमे से तो उन्हें एक ही जिम्मेदारी मिली है जिसे वो पूरी ईमानदारी से निभाती है लेकिन दूसरी जिम्मेदारी है उनकी खुद की, उपासना एक माँ हैं उनकी पांच साल की एक बेटी है जिसे वे ड्यूटी के दौरान पुलिस थाने में ही रखती है और जब ड्यूटी पूरी हो जाती है तब घर लेकर जाती हैं।
महिला आरक्षक उपासना दोनों जिम्मेदारियों को महत्वपूर्ण मानती हैं और उसे पूरी शिद्दत से निभाती हैं, वे बताती हैं कि जब उनकी बेटी तनिष्का 4 महीने की थी तब से वे उसे पुलिस थाने पर लेकर ड्यूटी करती हैं, वे जहाँ भी पदस्थ रहीं बेटी उनके साथ ही रही , वे मुस्कुराकर कहती हैं कि बेटी भी बचपन से उनके साथ ही थाने में पुलिस की नौकरी कर रही है।
तनिष्का अभी 5 साल की है UKG में पढ़ती है वो सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक स्कूल में रहती है फिर सिविल लाइन पुलिस थाने आ जाती है और माँ के काम में थोडा बहुत हाथ बंटाती है फिर माँ की ड्यूटी ओवर हो जाने के बाद उनके साथ ही घर जाती है। उपासना यादव सन 2022 से सिविल लाइन थाने में पदस्थ हैं इसके पहले वह 3 साल सटाई थाने और पुलिस कंट्रोल रूम में भी नौकरी कर चुकी हैं और वह अब सरकारी आवास में रहती हैं और उन्हें जब भी थाने के काम से फुर्सत मिलती है तो वह अपनी बेटी को थाने में ही पढ़ाती भी है।
बहरहाल छतरपुर की महिला पुलिस आरक्षक उपासना यादव उन शासकीय सेवकों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं जो अक्सर अपनी ड्यूटी से मुंह चुराकर भागते हैं, आरक्षक उपासना यादव अपनी विभागीय ड्यूटी के साथ साथ माँ का फर्ज बखूबी निभा रही हैं जिसकी चर्चा अब जिले से निकलकर पूरे प्रदेश में हो रही है।
छतरपुर से संजय अवस्थी की रिपोर्ट
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....