Mahalaya 2023 : महालया का प्रारंभ अमावस्या के दिन होता है, जिसे पितृपक्ष भी कहा जाता है। इस दिन पुण्यनदी नदी तट पर लोग तर्पण करने के लिए जाते हैं और अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति की कामना करते हैं। भारतीय पौराणिक परंपरा के अनुसार, महालया महिषासुरमर्दिनी दुर्गा के प्रति भक्ति के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का महत्व बंगाल में विशेष रूप से देखने को मिलता है, जहाँ पूजा का आयोजन सबसे अधिक उत्साह के साथ किया जाता है। महालया दुर्गा पूजा के पूर्वदिन होता है। इस अवसर पर माता दुर्गा की पूजा कर उन्हें धरती पर बुलाने के लिए प्रार्थना किया जाता है।
बंगाल में दिखती है रौनक
बंगाल के लोग महालया के दिन पहली किरणों के साथ उठ जाते हैं और अपने घरों में माता दुर्गा के आगमन की तैयारियां करते हैं। यह प्रार्थना और ध्यान का समय होता है, जिसमें वे मां दुर्गा से शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें बुलाते हैं। बता दें कि महालया के दिन से ही दुर्गा पूजा की तैयारियों का आरंभ होता है, जिसमें पंडाल बनाने और मां दुर्गा की मूर्ति को सजाने की प्रक्रिया शामिल होती है। दुर्गा पूजा के दौरान भक्त नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा करते हैं। यह पर्व आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में मनाया जाता है।
चंडी पाठ
चंडी पाठ महालया का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसका प्रमुख उद्देश्य अन्याय से रक्षा करना, बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत के लिए मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। इसका पाठ को अकेले या सामूहिक रूप से भी किया जा सकता है। इस दौरान मंदिरों में विशेष पूजा भी किया जाता है।