भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों (MP Panchayat Election 2021) की तैयारियां जोरों पर चल रही है। राज्य निर्वाचन आयोग जिला निर्वाचन अधिकारियों के लिए जरुरी दिशा निर्देश जारी कर रहा है। आयोग ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों और दिव्यांग कर्मचारियों की ड्यूटी मतदान दलों में नहीं लगाई जाये। साथ ही यदि पुरुष कर्मचारियों की कमी हो तभी महिला कर्मचारियों की ड्यूटी मतदान दल में लगाई जाये।
मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election 2021) के लिए राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) सोमवार 13 दिसंबर से दोनों चरणों के लिए अधिसूचना (notification) जारी कर देगा। अधिसूचना जारी होते ही इन पदों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे।
निर्वाचन आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को मतदान दलों से सम्बंधित दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। आयोग ने कहा है कि मतदान केंद्रों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक मतदान दलों का गठन किया जाये। अतिरिक्त दल , आरक्षित दलों के तौर पर किसी आकस्मिक या अप्रत्याशित स्थिति के रूप में लाये जाने के लिए है।
यदि जिले में राज्य शासन के कर्मचारियों से मतदान दलों की पूर्ति नहीं हो पा रही है तो केंद्र शासन, बैंक, भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों – अधिकारियों को मतदान दलों में शामिल किया जा सकता है। शासकीय कर्मचारियों की कमी होने पर 3 साल की सेवा पूरी कर चुके संविदा कर्मचारियों को मतदान दलों में शामिल किया जाये लेकिन संविदा कर्मियों को मतदान अधिकारी 2,3 या 4 बनाया जाये।
आयोग ने निर्देश दिए हैं कि यदि पुरुष कर्मचारियों की कमी हो आवश्यकता होने पर महिला कर्मचारियों को मतदान दल में शामिल किया जा सकता है। मतदान दल में केवल 2 महिला कर्मचारी शामिल की जा सकती हैं इन्हें मतदान अधिकारी 2 और 3 बनाया जाये और इनकी ड्यूटी वहीँ लगाई जाये जिसमें ये कार्यरत हैं। आयोग ने 60 साल से अधिक उम्र वाले और दिव्यांग कर्मचारियों की ड्यूटी मतदान दलों में नहीं लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा लोक स्वास्थ, जल प्रदाय विभाग, दुग्ध प्रदाय, वाणिज्यिक कर, आबकारी, पंजीयन एवं मुद्रक, बिजली विभाग के फील्ड स्टाफ की ड्यूटी मतदान दलों में नहीं लगाई जाये।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....