प्रोफेसर एम जगदीश ने कहा कि डिजिटल यूनिवर्सिटी खोलने का फायदा यह होगा कि छात्र कंप्यूटर खोलकर घर बैठे डिप्लोमा डिग्री कोर्स कर सकेंगे। वहीं ऑनलाइन शिक्षा पर भी काम तेजी से चल रहा है। यूजीसी चेयरमैन की मानें तो डिजिटल यूनिवर्सिटी डिग्री और मार्कशीट सब कुछ रेगुलर शैक्षणिक संस्थानों की तरह ही मान्य की जाएगी और इसके डिग्री कोर्स को भी सामान्य रूप से मान्यता प्रदान की जाएगी। यूजीसी चेयरमैन इसकी समय सीमा तय कर दी है। 2022 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल यूनिवर्सिटी की बात की थी।
यूजीसी चेयरमैन की माने तो डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जिसमें डिजिटल यूनिवर्सिटी में परीक्षाएं और सीमेंट सब कुछ ऑनलाइन जमा किए जाएंगे। इसके अलावा साइंस और इंजीनियरिंग के बच्चे को फिजिकल लैब कंपलसरी होगा। प्रैक्टिकल वर्क के दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि छात्र फाइनेंसियल मैनेजमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा साइंस, जर्नलिज्म सहित कई पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। यही नहीं प्रैक्टिकल करने के लिए छात्र के पास वर्चुअल लैब की भी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही जो सर्टिफिकेट उपलब्ध होगा वह अन्य शैक्षणिक संस्थानों की तरह मान्य किया जाएगा।
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इतना ही नहीं इंटर पास करने वाला कोई भी छात्र यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सकेगा और जिसमें योग्यता होगी, उसे कौशल विकास के उद्देश्य से इस कोर्स के जरिए और अधिक बनाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। यूजीसी चेयरमैन ने स्पष्ट किया है कि जनवरी 2023 से डिजिटल विश्वविद्यालय के काम पूरे किए जाएंगे और किसी संस्थान में प्रवेश पाने से वंचित रहने वाले छात्र को इसकी सुविधा मिलेगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग इस साल PhD For professionals विनियमों के मसौदे को अंतिम रूप दे रहा है। संशोधनों के साथ कामकाजी पेशेवर अंशकालीन पीएचडी प्रोग्राम का चुनाव करेंगे और आगे की शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। अंशकालिक पीएचडी कार्यक्रम भारत के लिए पूरी तरह से नए नहीं हैं और आईआईटी में आम हैं।
नामांकन के लिए पात्रता मानदंड क्या होगा?
पात्रता की शर्तें पूर्णकालिक और अंशकालिक दोनों उम्मीदवारों के लिए समान हैं। काम का मूल्यांकन भी उसी तरह किया जाएगा जैसे पूर्णकालिक पीएचडी छात्रों के लिए किया जाता है। हालांकि नियमित मानदंडों को पूरा करने के अलावा, अंशकालिक पीएचडी उम्मीदवारों को अपने नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाण पत्र या एनओसी भी प्रस्तुत करना होगा।
एनओसी के स्पेसिफिकेशन क्या हैं?
एनओसी को यह बताना होगा कि पीएचडी उम्मीदवार और कर्मचारी को अंशकालिक आधार पर शोध कार्य के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। कार्यस्थल पर डॉक्टरेट स्कॉलर के रूप में कर्मचारी के अनुसंधान के क्षेत्र में सुविधाएं स्थापित करने की आवश्यकता होगी और संगठन को यह कहते हुए एक सबमिशन भी देना होगा कि यदि आवश्यक हो तो कर्मचारी को अपेक्षित कोर्सवर्क पूरा करने के लिए ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाएगा।