लंबाई कम होने के बावजूद एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पंघाल दोनों में बेहतर मुक्केबाज थे। हालांकि, मैकडॉनल्ड ने खराब कट के बावजूद फाइनल राउंड में बढ़त बनाई थी।
उधर, 21 वर्षीय नीतू, अपने पहले कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग ले रही थी। फाइनल मुकाबले के तीनों राउंड्स में वह पूरी तरह से नियंत्रण में दिखी, जिससे घरेलू मुक्केबाज को कोई खास फायदा नहीं मिला। साउथपॉ बॉक्सर ने रिंग में तेज पंचेस, सटीक संयोजन और मुकाबले की गति को नियंत्रित किया।
इससे पहले भारत की नीतू गंगहास ने महिलाओं के 45 किग्रा-48 किग्रा सेमीफाइनल में कनाडा की प्रियंका ढिल्लों और अमित पंघाल ने पुरुषों के 48 किग्रा-51 किग्रा (फ्लाईवेट) में जाम्बिया के पैट्रिक चिनयम्बा को क्रमशः आरएसी (RAC) के अंतर्गत और 5-0 सर्वसम्मति निर्णय से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया था।
ऐसा रहा नीतू का सफर
नीतू ने क्वार्टर फाइनल में निकोल क्लाइड को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर अपने अभियान की शानदार शुरुआत की थी।
ऐसा रहा अमित पंघाल का सफर
बॉक्सिंग में पुरुषों के 48-51 किग्रा (फ्लाईवेट) वर्ग के क्वार्टरफाइनल मुकाबले में अमित पंघाल ने स्कॉटलैंड के लेनन मुलिगन को 5-0 के सर्वसम्मति फैसले से शिकस्त देकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।
बता दे, विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेता अमित पंघाल निश्चित ही अपने गोल्ड कोस्ट कामनवेल्थ गेम्स के पदक का रंग बदलना चाह रहे थे। पिछली बार उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा था।
आपको बता दें, इन दो पदकों के साथ भारत के कुल पदकों की संख्या 42 हो गई है, जिसमें 15 गोल्ड, 11 सिल्वर और 16 ब्रॉन्ज मेडल शामिल है।