Kamal Nath organized Dhirendra Shastri Hanuman Katha : पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ धीरेंद्र शास्त्री की हनुमान कथा का आयोजन कराकर विरोधियों के निशाने पर हैं, भाजपा नेताओं के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कमल नाथ पर निशाना साधा है, उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा – “मोहब्बत की दुकान” में नफ़रत की तस्करी हो रही है। दूसरों पर B-Team का ठप्पा लगाने का अधिकार इन्हें कहाँ से मिला?
पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ अपने निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की हनुमान कथा का आयोजन कराने के बाद से विरोधियों के निशाने पर हैं, मध्य प्रदेश के अलावा अब इस पर देश में भी सियासी पारा चढ़ा हुआ है।
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भाजपा कई बार कह चुकी है – कांग्रेस इच्छाधारी हिंदू
कथा आयोजन के बाद से भाजपा कमल नाथ और कांग्रेस को चुनावी हिंदू, इच्छाधारी हिंदू बता रही है और निशाने साध रही है अब भाजपा नेताओं के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी कमल नाथ पर हमला किया है, ओवैसी ने अपने ट्विटर एकाउंट ट्वीट कर कमल नाथ का नाम लिए बिना तंज कसा है।
ओवैसी का हमला – “मोहब्बत की दुकान” में नफ़रत की तस्करी
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया – कांग्रेस के मध्य प्रदेश के “दिग्गज” नेता साफ़ साफ़ वही कह रहे हैं जो मोहन भागवत कहते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र है। भारत सिर्फ़ एक समुदाय का देश नहीं है। भारत कभी हिंदू राष्ट्रा ना था, ना है और ना कभी होगा इंशा’अल्लाह। “मोहब्बत की दुकान” में नफ़रत की तस्करी हो रही है।दूसरों पर B-Team का ठप्पा लगाने का अधिकार इन्हें कहाँ से मिला? कल के दिन अगर भाजपा हार भी जाये, तो इस नफ़रत में क्या कोई कमी आएगी?
कांग्रेस ने किया पलटवार – ओवैसी के प्रमाणपत्र की जरुरत नहीं
ओवैसी के बयान पर मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख केके मिश्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि ट्विटर एकाउंट भले ही ओवैसी का है लेकिन उसकी स्क्रिप्ट भाजपा ने लिखी है, पूरा देश जनता है कि असदुद्दीन ओवैसी भाजपा की बी टीम हैं, कांग्रेस नेता ने कमल नाथ को सेकुलर लीडर बताते हुए कहा कि उनकी राष्ट्र भक्ति, धार्मिकता, सनातनी होने और धर्म के प्रति निस्वार्थ भावना को ओवैसी के प्रमाणपत्र की जरुरत नहीं है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....