हरदा में रेलवे ट्रैक के पास मिला बमों का जखीरा, पटाखा कारोबारियों के बीच हड़कंप

हरदा से होकर गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर 24 घण्टों में सैकड़ों यात्री और माल वाहक ट्रेनों की आवागमन जारी रहती है। वहीं रेलवे ट्रैक से सटी पड़ी इन बोरियो में गाड़ियों के पहियों से निकलने वाली चिंगारी अथवा किसी यात्री के द्वारा बीड़ी अथवा सिगरेट फेंकने से आसपास का पूरा ट्रेक उड़ जाता।

Harda

Harda News: बीते दिनों मध्य प्रदेश के हरदा के पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण हादसा हुआ था। जिसके बाद से प्रदेश भर में प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है। प्रशासन की तरफ से लगातार पटाखा कारोबारियों के खिलाफ कारवाई की जा रही है। इसके लिए लगभग प्रदेश के सभी जिलों में प्रशासन द्वारा चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। जिससे पटाखा के कारोबारियों के बीच खौफ का माहौल बना हुआ है। इस सिलसिले में शुक्रवार को हरदा-मुंबई-दिल्ली रेलवे ट्रैक पर सुतली बम का बड़ा जखीरा बरामद किया गया है। जहां करीब 75 बोरियां सुतली बम के मिले हैं। जिससे हड़कंप मच गया है। बता दें दिल्ली-मुंबई के बीच सबसे यह सबसे बिजी रेलवे ट्रैक है। वहीं ऐसी जगह बम की बोरियां मिलना बड़ी घटना को अंजाम दे सकता था।

ट्रैकमेन ने पुलिस को दी सूचना  

गौरतलब है कि हरदा से होकर गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर 24 घण्टों में सैकड़ों यात्री और माल वाहक ट्रेनों की आवागमन जारी रहती है। वहीं रेलवे ट्रैक से सटी पड़ी इन बोरियो में गाड़ियों के पहियों से निकलने वाली चिंगारी अथवा किसी यात्री के द्वारा बीड़ी अथवा सिगरेट फेंकने से आसपास का पूरा ट्रेक उड़ जाता। इस दौरान ट्रैकमेन राहुल नागले ने जानकारी दी कि वे डाउन साइड से आ रहे थे। जहां उन्हें ट्रैक के पास सुतली बम से भरी बोरियां दिखाई दी। जिसके बाद उन्होंने तत्काल इस बात की सूचना पुलिस को दी।

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Shashank Baranwal

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।