अर्जित यश से अधिक के हकदार हैं दिग्विजय सिंह

Amit Sengar
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कृष्ण मोहन झा, वरिष्ठ पत्रकार। दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) से मेरा परिचय यद्यपि एक पत्रकार के रूप में हुआ था परन्तु मुझे याद नहीं कि कब उन्होंने मुझे अपने निकटतम मित्रों की श्रेणी में शामिल कर लिया। अब तो जब कभी मैं उन्हें संक्षिप्त सूचना पर ही किसी महत्वपूर्ण आयोजन का मुख्य आतिथ्य स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करता हूं तो उनकी सहर्ष सहमति मिल जाती है। अनेक अवसरों पर मुझे उनसे अनुजवत स्नेह की अनुभूति भी हुई परंतु मैं यहां यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि उनके चेहरे पर हमेशा छाई रहने वाली मुस्कान में कभी क्षण मात्र के लिए भी मुझे निष्पक्ष पत्रकारिता के मार्ग से विचलित करने की कोई कोशिश का अहसास नहीं हुआ। उनकी मुस्कान से हमेशा मुझे यही संदेश मिला कि जिस तरह वे अपनी पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं, उसी तरह एक निष्पक्ष पत्रकार के रूप में मैं भी अपने पेशे के प्रति निष्ठावान रहूं। इस मामले में मैंने राजनेताओं की बिरादरी में उन्हें दूसरों से अलग पाया है।

दिग्विजय सिंह के बारे मैं यह बात निश्चित रूप से कहीं जा सकती है कि वे न केवल संबंध बनाने की कला में निपुण हैं अपितु उन संबंधों को ईमानदारी से निभाने का जज्बा भी उनके अंदर कूट कूट कर भरा हुआ है। संबंधों के निर्वहन में राजनीतिक सीमाओं को उन्होंने कभी आडे नहीं आने दिया। मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि कांग्रेस के इतर दूसरे राजनीतिक दलों में भी दिग्विजय सिंह के मित्र मौजूद हैं जो दिग्विजय सिंह के साथ उनकी मित्रता को राजनीति से ऊपर मानते हैं।

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”