Gwalior Anti-Encroachment Campaign : ग्वालियर में चल रही अतिक्रमण विरोधी मुहिम के विरोध में अब आम आदमी पार्टी भी मैदान में कूद गई है। कांग्रेस के धरना प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी भी मौके को कैश कराने पहुंची। पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कार्यवाही को तानाशाही बताया। AAP नेताओं ने पैदल मार्च निकाला और फिर तुड़ाई के लिए खड़े बुलडोजर (थ्री डी मशीन) पर कब्ज़ा कर लिया, पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए कार्यकर्ताओं को खदेड़ते हुए गिरफ्तार कर लिया।
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) की विधानसभा में सड़क चौड़ीकरण के लिए जिला प्रशासन की देखरेख में नगर निगम प्रशासन अतिक्रमण हटा रहा है। 200 से अधिक सम्पत्तियों को चिन्हित कर उनपर लाल क्रॉस के निशान लगाए गए हैं और उन्हें तोड़ा जा रहा है। प्रशासन ने पिछले रविवार को पहली कार्यवाही अतिक्रमण हटाए, विरोध होने के बाद नोटिस देकर खुद अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी।
बहुत बड़ी संख्या में सम्पत्तियों को तोड़े जाने के चलते कांग्रेस ने विरोध शुरू किया। स्थानीय नेता एवं कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा ने धरना दिया, मशाल जुलूस निकाला, दो दिन पहले महापौर डॉ शोभा सिकरवार भी पीड़ितों के बीच गई और नाराजगी जताते हुए निगम कमिश्नर को पत्र लिखकर पूरी जानकारी मांगी।
कांग्रेस के मैदान में सक्रिय होते देख आज आम आदमी पार्टी भी मैदान में कूद गई। आम आदमी पार्टी की महापौर प्रत्याशी रही डॉ रुचि गुप्ता के नेतृत्व में आप कार्यकर्ता किला गेट पहुंचे और सेवानगर पार्क तक पैदल मार्च किया। उसके बाद वे कार्यवाही के लिए तैयार खड़े बुलडोजर (थ्री डी मशीन) पर चढ़ गए और उसपर कब्ज़ा कर लिया।
आम आदमी पार्टी के विरोध को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन जब कार्यकर्ता नहीं माने तो पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया और गिरफ्तार कर पुलिस वाहन से अस्थाई जेल भेज दिया। आप नेत्री रुचि गुप्ता ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि 100 साल से पुरानी सम्पत्तियां हैं जिनकी रजिस्ट्री है तो अतिक्रमण कैसे हुआ। उन्होंने स्थानीय विधायक और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर पर भी निशाना साधा और महापौर डॉ शोभा सिकरवार पर भी वार किया।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....