ग्वालियर,गौरव शर्मा। ग्वालियर में डेंगू इस समय कहर बरपा रहा है। 1800 से ज्यादा मरीजों को अपनी चपेट में लेने वाले डेंगू को रोकने में स्वास्थ्य में पूरी तरह असफल साबित हो रहा है। हालात यह है कि रोजाना 15 से 20 मरीज डेंगू पीड़ित मिल रहे हैं जिनमें बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल है।
ग्वालियर जिले में डेंगू का आंकड़ा 1800 पार कर गया है। इनमे बङी संख्या बच्चों की है। आम जनता की तो छोड़ ही दें अब प्रशासनिक अधिकारियों के परिजन भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हालांकि मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा डेंगू की रोकथाम के लिए मैदानी स्तर पर अच्छा खासा फंड मुहैया कराता है लेकिन ग्वालियर के सीएमएचओ डा.मनीष शर्मा इसे रोकने में पूरी तरह असफल साबित हो रहे है। ये वही सीएमएचओ है जो कोरोना की रोकथाम के लिए अजीबोगरीब तरीके बताकर सुर्खियों में रह चुके हैं।
इतना ही नही,कोरोना वैक्सीन की डेटा फीडिन्ग न करने पर भी सीएमएचओ चर्चाओ मे रहे है। ग्वालियर के इलाको की बात करें तो अब तक डीडी नगर, आदित्यपुरम, कुंज बिहार , हजीरा, थाटीपुर और मुरार क्षेत्र में सबसे ज्यादा डेंगू के मरीज मिले हैं। लगभग एक दर्जन से ज्यादा लोग डेंगू के चलते दम भी तोड़ चुके हैं। सितंबर के बाद से मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
स्वास्थ विभाग इसकी वजह पहले बारिश का पानी घर और बाहर जमा होने और उसकी वजह से डेंगू का लारवा पनपने की कारण मान रहा है। हालांकि स्वास्थ्य महकमा यह बताने को तैयार नहीं कि उसने इसे रोकने के लिए क्या किया।
अभी दो दिन पहले ही श्योपुर जिले में पदस्थ नायब तहसीलदार शिवराज मीणा भी ग्वालियर के एक निजी चिकित्सालय में डेंगू के चलते दम तोड़ चुके हैं। सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी इस समय डेंगू पीड़ितों की भीड़ देखी जा सकती है। हालांकि प्रशासन दावा कर रहा है कि अब मौसम बदलने से धीरे-धीरे डेंगू के संक्रमण में कमी होगी और मरीजों की संख्या पर भी काबू पाया जा सकेगा लेकिन फिलहाल हालत बद से बदतर हो रहे हैं।
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Gaurav Sharma
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इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।