MP News : मध्य प्रदेश में सरकार का गठन कुछ दिन बाद होने वाला है , 3 दिसंबर को मतगणना के बस स्पष्ट हो जायेगा कि मप्र की सत्ता की चाबी एक बार फिर भाजपा के हाथ में ही रहेगी या फिर कांग्रेस उससे छीन लेगी, दोनों दलों के नेता परिणाम को लेकर टेंशन में भी है और उत्साह में भी लेकिन समर्थकों में गजब का कांफिडेंस देखने की मिल रहा है, जहाँ कांग्रेस के समर्थक खासे उत्साहित हैं तो वहीं भाजपा समर्थक भी पीछे नहीं है, दोनों ही पार्टियों के समर्थक अपने दल की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं।
समर्थकों के बीच सरकार गठन को लेकर भारी उत्साह
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा में कांग्रेस समर्थकों का उताह बहुत ऊँचाई पर है, यहाँ ना सिर्फ कांग्रेस की सरकार बनने और कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के दावों को लोगों ने अभी से सच मानकर तैयारियां शुरू कर दी है तो वहीँ अपने इस दावे को लिखापढ़ी के साथ भी करना शुरू कर दिया है।
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कमलनाथ की जीत को लेकर 10 लाख की शर्त
पिछले दिनों 18 नवंबर को छिंदवाड़ा के दो व्यापारियों ने कमलनाथ की जीत और हार की शर्त लगाई उन्होंने रसीदी टिकट (राजस्व टिकट) पर दस्तखत कर एक लेटर हेड पर लिखापढ़ी की और तीन गवाहों के दस्तखत भी कराये , शर्त कांग्रेस से जुड़े ठेकेदार प्रकाश साहू और एक अन्य राम मोहन साहू के बीच लगी, प्रकाश साहू के लेटर हेड पर लिखा गया कि अगर ‘कमलनाथ जी हारते हैं तो प्रकाश साहू, राम मोहन साहू को 10 लाख रुपये नगद देंगे अगर बंटी साहू हारेगा तो राम मोहन साहू, प्रकाश साहू को 1 लाख नगद देंगे। ये राशि 3 दिसंबर को दी जाएगी।’
इस शर्त की प्रदेश में चर्चा चल रही है इसी बीच एक स्टाम्प पेपर चर्चा में आ गया, खास बात ये है कि ये मामला भी छिंदवाड़ा जिले का ही है, छिंदवाड़ा जिले की ग्राम पंचायत सूखा पाड़ा के पूर्व सरपंच और तहसील हर्रई के दो लोगों ने 22 नवंबर को 50 रुपये के स्टाम्प पेपर पर भाजपा और कांग्रेस की सरकार बनने की शर्त लगाई है।
भाजपा और कांग्रेस समर्थकों ने लगाई 1-1 लाख की शर्त
कांग्रेस समर्थक पूर्व सरपंच धनीराम भलावी ने हर्रई निवासी नीरज मालवीय के साथ शर्त लगाई है, धनीराम भलावी का दावा है कि कांग्रेस की सरकार बनेगी वहीँ नीरज मालवीय का दावा है कि भाजपा की सरकार बनेगी, शर्त के मुताबिक यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो नीरज मालवीय, धनीराम को 1 लाख रुपये देंगे और यदि भाजपा की सरकार बनी तो धनीराम, धीरज मालवीय को एक लाख रुपये देंगे, 50 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लगाई इस शर्त पर पांच गवाहों के दस्तखत भी हैं।
बहरहाल सरकार किसकी बनेगी? कौन जीतेगा कौन हारेगा, ये 3 दिसंबर को आने वाला चुनाव परिणाम बताएगा लेकिन समर्थकों में इसे लेकर जिस तरह का उत्साह देखने को मिल रहा है वो अपने आप में बड़ी बात है क्योंकि मौखिक दावे करना अलग बात है लेकिन स्टाम्प पेपर पर लिखापढ़ी करना अपने नेता और पार्टी के प्रति विश्वास और समर्पण को दिखाता है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....