जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। जीवनदायिनी कही जाने वाली नर्मदा खुद खतरे में है, हाल इतना खराब है कि नर्मदा का पानी आचमन लायक भी नहीं है। यह हाल जबलपुर का है, जहाँ रोजाना बड़ी संख्या में नर्मदा भक्त दर्शन करने पहुंचते है। दरअसल यह खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से पेश जांच रिपोर्ट में हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एनजीटी में प्रस्तुत रिपोर्ट में नर्मदा किनारे बसे अन्य शहरों की तुलना में जबलपुर में सबसे ज्यादा गंदगी नर्मदा में मिलने की बात कही है। एनजीटी ने 70 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया है। इस पर एनजीटी ने ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, भेड़ाघाट सहित अन्य स्थानों पर नर्मदा में मिल रही सीवरेज की गंदगी पर नियंत्रण करने के सख्त आदेश जारी किए हैं।
देश की बड़ी कंपनी TATA का कर्मचारियों को तोहफा, अब अपनी नौकरी कर सकेंगे ट्रांसफर
पीसीबी ने इस रिपोर्ट में बताया है कि जबलपुर के ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, भेड़ाघाट सहित नर्मदा किनारे बसे गांवों की गंदगी सीधे नर्मदा में मिल रही है। जबलपुर में रोज 136 एमएलडी सीवरेज की गंदगी नर्मदा में मिल रही है। शहर के ही नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव और दीपांशु साहू ने नर्मदा में मिल रही गंदगी को लेकर एनजीटी में याचिका लगाई थी। इसमें नर्मदा किनारे हो रहे निर्माण और अतिक्रमणों की भी जानकारी दी थी। इस पर एनजीटी ने 20 फरवरी 2021 को मुख्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कलेक्टर्स को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे।याचिकाकर्ताओं की ओर से एनजीटी में पक्ष रखने के बाद भी जब कार्रवाई नहीं हुई तो एक्जीक्यूटिव याचिका दायर की गई। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 16 जुलाई 2021 को मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शहरवार नर्मदा में मिल रही गंदगी की जानकारी मांगी थी। पीसीबी ने 23 सितंबर को नर्मदा में गंदी मिलने की रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी।