इस मनोविज्ञान को समझ लेंगे तो सुकून भरा रहेगा जीवन

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मनोविज्ञान (Psychology) मानवीय व्यवहार का अध्ययन है। ये हमें बहुत कुछ बताता है परोक्ष और अपरोक्ष व्यवहार के बारे में। साथ ही हमें काफी कुछ सिखाता भी है कि किन बातों को अपनाकर हम जीवन को सरल बना सकते हैं और क्या चीजे़ं हमें कठिनाई में डाल सकती हैं। हम लोगों की बातों और व्यवहार से काफी कुछ समझ सकते हैं और अपने व्यवहार को संतुलित रखकर मानसिक सुकून पा सकते हैं। आज हम आपको ऐसी ही कुछ बातों बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप एक सुकून और शांत मानसिक स्थिति पा सकते हैं।

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  • अपनी सारी बातें किसी से साझा मत कीजिए। ज्यादा शेयरिंग आपके लिए नुकसानदेह हो सकती हैं। लोग उन बातों को खराब नहीं कर सकते, जिन्हें वे जानते नहीं। इसलिए अपनी महत्वपूर्ण बातें गोपनीय रखिए।
  • आप लोगों की जितनी कम परवाह करेंगे, उतने अधिक खुश रहेंगे। लोग क्या कहेंगे..ये परेशानी का सबसे बड़ा कारण होता है। इसलिए लोगों की फिक्र छोड़िए।
  • संवादहीनता किसी भी अच्छे से अच्छे रिश्ते को खराब कर सकती है। चाहे वो प्रेम संबंध हो या दोस्ती या फिर परिवार ही क्यों न हो, अगर आपस में संवाद नहीं है तो रिश्ते मधुर नहीं रहेंगे।
  • जो आपसे किसी और की बुराई कर रहा है, गॉसिप कर रहा है..तय मानिये वो आपके बारे में भी किसी और से यही बातें करेगा। इसलिए गॉसिप करने वाले पर भरोसा मत कीजिए और उससे अपनी निजी बातें शेयर मत कीजिए।
  • अगर आप समस्याओं पर केंद्रित रहेंगे तो समस्याएं बढ़ेंगी। अगर आप समाधान के बारे में सोचेंगे तो आपके पास बेहतर अवसर होंगे।
  • हर बात को पर्सनली न लें। दफ्तर में, आस पड़ोस में या फिर रिश्तेदारी में भी..सभी हमेशा हमारे बारे में न तो सोचते हैं न ही बात करते हैं। इसलिए हर बात पर ये मत सोचिए कि आप ही टार्गेट हैं।
  • हमें हमेशा अपना सुख और दुख सबसे बड़ा लगता है। लेकिन ऐसा होता नहीं। इसलिए जब भी ऐसा हो तो दूसरों के दुख और सुख के बारे में सोचिए। लेकिन ये तुलना न हो, बस अपने आपको तार्किक रूप से समझाने का प्रयास हो।
  • आत्मसम्मान की कमी होने पर आप दूसरों में कमियां निकालने लगते हैं। इसलिए हमेशा दूसरों की कमी के बारे में न सोचें..ये देखिये कि कहीं आपके भीतर ही तो कोई कमजोरी नहीं।
  • व्यस्त लोग ज्यादा खुश और सकारात्मक होते हैं। इसलिए खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करें।
  • पैसा आपके जीवन में बहुत सारी सुविधाएं और समृद्धि ला सकता है, लेकिन हर खुशी नहीं खरीद सकता। इसलिए अपने रिश्तों को सहेजकर रखें।

About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।