Gwalior News : ग्वालियर स्मार्ट सिटी बन रहा है, यहाँ करोड़ों रुपये के विकास कार्य हो रहे हैं, केंद्रीय मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री , प्रभारी मंत्री, दो स्थानीय मंत्री लगातार विकास कार्यों की दुहाई दे रहे हैं, यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए रोज बैठकें हो रही है, आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए एक बड़ी से टीम है लेकिन आप यहाँ कितने सुरक्षित हैं इस बात की कोई ग्यारंटी नहीं है।
आवारा गाय ने नाबालिग को रौंदा, घसीटा
जी हाँ सच पढ़ा आपने, इस बात का प्रमाण इस समय सोशल मीडिया पर मौजूद है,घर से निकले एक नाबालिग पर एक आवारा गाय ने हमला कर दिया, गाय ने उसे अपने सींगों से उछाला, पैरों से रौंद दिया, उसे घसीटा, इतना ही नहीं उसपर बैठ भी गई, गनीमत रही आसपास लोगों ने शोर मचाया तो गाय भाग गई और बच्चे की जान बच गई।
दरअसल मामला रविवार रात करीब सवा नौ बजे का है जिसका वीडियो आज सोमवार को सामने आया है, ग्वालियर के कैलाश टॉकीज के पास रहने वाला 15 साल का ऋषि प्रजापति अपने घर से राम मंदिर कुछ सामान लेने निकला था, उसे रास्ते में भीड़ लगी दिखाई दी तो वो उसे देखने जाने लगा तभी अचानक काले सफ़ेद रंग की एक गाय सामने से आई और उसने ऋषि पर हमला कर दिया।
ऋषि कुछ समझ पाता तब तक गाय न उसे सींगों से उछाल कर सड़क पर पटक दिया और रौंदने लगी, गाय ने अपने पैरों से ऋषि पर हमला किया और उसे घसीटते हुए कुछ दूर ले गई फिर उसपर बैठ गई, जब ये घटना हुई तब बाजार खुला हुआ था आसपास निकल रहे लोगों ने देखा तो सहम गए उन्होंने बच्चे को बचाने के लिए शोर मचाया तो गाय ऋषि के ऊपर से उठकर भाग गई।
कई राहगीरों, वाहन चालकों को भी किया घायल
बताया जा रहा है कि इस आवारा गाय ने सिर्फ ऋषि को ही नहीं कई लोगों को वहां घायल किया लेकिन लोग उसके हमले में उस तरह नहीं फंसे जिस तरह ऋषि फंस गया। करीब आधा घंटा गाय उत्पात मचाती रही और लोग बचकर वहां से निकलते रहे। ऋषि किसी तरह अपने घर पहुंचा उधर लोगों ने नगर निगम को घटना की सूचना दी।
नगर निगम ने मशक्कत के बाद आवारा गाय को पकड़ा
घटना की जानकारी मिलते ही नगर निगम की टीम एक्शन में आई उसने एक घटे तक कड़ी मशक्कत की और फिर गाय को पकड़ कर ले गए, आवारा जानवर के हमले के सवाल पर नगर निगम के उपायुक्त सतपाल सिंह चौहान का कहना है कि नगर निगम हर रो 20-25 आवारा जानवरों को पकड़ता है लेकिन शहर के लोग अपने जानवर सड़क पर छोड़ देते हैं, इस समय गाँव से शहर की तरफ ज्यादा जानवर आ रहे हैं फिर भी नगर निगम पूरी मेहनत कर रहा है।
ऋषि का परिवार सदमे में
उधर इस घटना के बाद ऋषि ही नहीं उसका परिवार सदमे में है और सहमा हुआ है, ऋषि का कहना है कि जब गाय ने मुझ पर हमला किया तो मुझे लगा कि मैं मर जाऊंगा लेकिन भगवान ने मुझे बचा लिया। ऋषि की माँ पूजा बोल नहीं सकती लेकिन उनकी आँखों में बेटे के साथ हुये हादसे की तकलीफ और भय साफ़ दिख रहा है, ऋषि की नानी निर्मला देवी के आंसू नहीं रुक रहे वे कहते हुए कांप रही थी कि इसे कुछ हो जाता कहाँ ले जाते , हमारे जीवन में वैसे भी बहुत परेशानियाँ हैं पता नहीं हमारा क्या होता।
बहरहाल ऋषि की माँ और उसकी नानी ने कुछ पुण्य कर्म किये होगी जो ढाल बनकर उसके साथ आ गए और ईश्वर ने कृपा कर ऋषि की जान बचा ली, लेकिन अब उम्मीद शहर के उन राजनेताओं से है जो बड़े बड़े होर्डिंग बैनर लगवाकर अपनी अपनी तारीफ के कसीदे सुनना चाहते हैं, उम्मीद उन नौकरशाहों से भी है जिनको सरकार इस बात की तनख्वाह देती है कि वे अपना काम पूरी शिद्दत से करें जिससे भविष्य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....