उत्तराखंड में यह 12 दिनों के भीतर तीसरी घटना है। इससे पहले 1 अक्टूबर को केदारनाथ मंदिर के पास हिमस्खलन की घटना घटी थी। हालांकि, इससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सूचना दी थी कि इस घटना में किसी प्रकार का कोई हताहत नहीं हुआ है। मंदिर में दर्शन करने आए सैलानियों ने उस घटना को अपने कैमरे में कैद कर लिया था और इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था जो कि खुब तेजी से वायरल हुआ था। इससे पहले 23 सितंबर को मंदिर से करीब 5 किमी पीछे बने चौराबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन हुआ था। हालांकि, दोनों बार ही किसी प्रकार की कोई हानि नहीं हुई थी लेकिन बार-बार ऐसी घटना का होना चिंता का विषय है। ग्लेशियर पिघलने की मुख्य वजह वातावरण में बदलाव है।
दरअसल, पृथ्वी का तापमान बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। जिससे ग्लेशियर धीरे-धीरे पिघल रहा है। जो कि पृथ्वी के विनाश का संकेत है। बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ की चट्टाने पिघल रही है। जिससे धरती पर पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण बाढ़, सुनामी, चक्रवात जैसी बड़ी आपदाएं हो रही है। आए-दिन कहीं-ना-कहीं प्राकृतिक आपदाएं अपना कहर मचा रही है।
यह भी पढ़ें – World Animal Day : जानिये क्यों मनाया जाता हैं विश्व पशु दिवस, मिलकर लें उनके कल्याण का संकल्प
जैसा कि हम सभी जानते हैं धरती पर भूमि से पानी की मात्रा ज्यादा है। बता दें कि धरती के ओजोन परत पर छिद्र का होने से बर्फ की चट्टानें तेजी से पिघल रहे हैं साथ ही, कार्बनडाइऑक्साइड की अधिक मात्रा से वातावरण के तापमान में बढ़ोत्तरी जारी है। जिसके कारण यह ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जो सभी के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे में अगर बर्फ की चट्टानें लगातार पिघलती रही तो आने वाले समय में पृथ्वी पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगा। जिसका नजारा हम सभी देख ही रहे हैं। जिसे रोकने के लिए वैज्ञानिक रात-दिन एक कर चुके हैं।
यह भी पढ़ें – खंडवा में जन्मा अनोखा बच्चा, 4 हाथ, 4 पैर, 4 कान देख उमड़ी लोगों की भीड़, आधे घंटे बाद हुई मौत