इतना ही नहीं भ्रष्टाचार में लिप्त इन अफसरों कर्मचारियों की जांच को समय सीमा के अंदर सुलझाया जाएगा। इसके लिए विभाग द्वारा अलग-अलग संवर्ग के अधिकारी कर्मचारियों के लिए अलग-अलग पैटर्न भी तय किए गए हैं। फिलहाल विभागीय जांच ऑफलाइन तरीके से की जाती है।
वहीं कई बार ऐसा होता है कि जांच के दायरे में आने वाले अफसर जांच के क्रम में ही रिटायर हो जाते हैं और विभागीय जांच के बाद उन पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। ऐसे में सरकार द्वारा एक नई पहल की गई है। एक विभागीय जांच पोर्टल तैयार किया जाएगा। जिसमें रिपोर्ट ऑनलाइन रहेगी।
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वही भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों की जांच के लिए एसीएस जीएडी विनोद कुमार की अध्यक्षता में मध्यप्रदेश विभागीय जांच पोर्टल बनाने की दिशा निर्देश दिए गए हैं। इसमें जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ,लोक निर्माण, राजस्व, विधि तथा मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य की भूमिका में होंगे।
वही यह समिति 15 दिन में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। जिसके बाद अधिकारियों और कर्मचारियों की विभागीय जांच की जानकारी होगी। नए पैटर्न के मुताबिक किस तरह के मामले की जांच कितने दिन की समय सीमा के अंदर पूरा की जाएगी। वहीं जांच के अधिकतम बिंदु क्या होंगे, यह सब पहले से तय किए जाएंगे। प्रथम वर्ग, द्वितीय वर्ग तृतीय और चतुर्थ वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों की जांच के लिए एक पैटर्न भी तैयार किया जाएगा। पोर्टल पर कमेटी के मेंबर मामले से जुड़े व्यक्ति और जांच की कार्रवाई की मॉनिटरिंग भी करेंगे।
मामले में सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई बार अफसरों की सुनवाई लंबे समय तक चलती रहती है। जिससे पदोन्नति में भी अफसरों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में इस प्रक्रिया से दोषी अधिकारी कर्मचारियों को जहां सजा मिलेगी। वहीं अफसरों की पदोन्नति भी जल्दी हो सकेगी।