नागरिक अधिकार और कर्तव्यों को याद करने का अवसर है गणतंत्र दिवस- प्रवीण कक्कड़

Kashish Trivedi
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भोपाल, प्रवीण कक्कड़। इस हफ्ते 26 जनवरी (Republic Day) को हम भारत का संविधान (Constitution) लागू होने की 72वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे। इसी दिन भारत को गणतंत्र घोषित किया गया था। लेकिन हमें याद रखना है कि यह तो आधुनिक संदर्भों में गणतंत्र होने की वर्षगांठ है। अगर भारत के प्राचीन इतिहास (ancient history) पर नजर डालें तो भारत दुनिया के सबसे पुराने गण राज्यों में से एक हैं। आज से ढाई हजार साल पहले जब सभ्यताएं दुनिया के बाकी भूभाग में ढंग से अंकुरित भी नहीं हो पाई थीं। तब भारत में चेदि गणराज, लिच्छवी गणराज्य, मगध गणराज्य के रूप में गणतंत्र का एक पुराना पैटर्न मौजूद था।

अपने इतिहास की यह महानता हमारे संविधान निर्माताओं को अच्छी तरह से मालूम थी। इसीलिए भारत की संविधान सभा ने करीब 3 साल की मेहनत करके दुनिया के सबसे प्रगतिशील संविधान में से एक संविधान की रचना की। उन्होंने भारत को एकांगी राष्ट्र बनाने की जगह गणराज्य बनाना तय किया। एक ऐसा संविधान, जिसमें धर्म और जाति का भेद नहीं है, जिसमें अमीर और गरीब का भेद नहीं है। जिसमें स्त्री और पुरुष का भेद नहीं है।


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