काॅकरोच की महंगे होने की वजह
दरअसल जिस काॅकरोच की बोली लगने वाली थी वो काई आम काॅकरोच नहीं था। एक प्रयोग में उसे चांद से लाई गई मिट्टी खिलाई गई थी।
नासा ने लेटर भेज रोकी नीलामी
अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ऑक्शन हाउस को लेटर भेजकर चांद की मिट्टी और तीनों काॅकरोच की नीलामी को रोकने के लिए कहा। नासा ने अपने तर्क में कहा कि अंतरिक्ष मिशन अपोलो-11 के सैंपल गवर्मेंट की प्रापर्टी है इसे बेचने का अधिकार किसी को भी नहीं है और अंतरिक्ष के सैंपल का इस तरह का इस्तेमाल गलत है।
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काॅकरोचों को बनाया गया प्रयोग का हिस्सा
यूनिवर्सिटी ऑफ मिनिसोटा में वैज्ञानिकों ने काॅकरोच को चांद की मिट्टी खिलाने का प्रयोग किया इसमें वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि उस मिट्टी में कोई जहरीला तत्व मौजूद तो नहीं है। इसकी जानकारी एक एक पेपर मे प्रकाशित हुई जिसमें उन्होंने बताया कि प्रयोग में मिट्टी में कोई जहरीला पदार्थ मौजूद नहीं है।
नासा के कहने पर नीलामी पर रोक लगी
ऑक्शन कंपनी ने नासा की नीलामी रोकने की मांग पर विचार करते हुए नीलामी को हाल के लिए रोक दिया है। अंतरिक्ष एजेंसी यह प्रयास करेगी की इसे अब दोबारा इन चीजो को नीलामी के बाजार में न उतारा जाए। यह भी सुनने में आ रहा है कि नासा इस सेंपल को जब्त कर सकती है।
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अंतरिक्ष वैज्ञानिक समय समय पर जानवरो के साथ कई तरह के शोध करते रहते है। यह जानवर ही है जिनकी मदद से कई तरह अविष्कार संभव हो पाते है। किसी भी नए अविष्कार का विश्लेषण करना होता है तब जानवरो का सहारा लिया जाता है।