छत्तीसगढ़ में 10 साल की अवधि पूरा करने वाले कर्मचारियों को ही पुरानी पेंशन योजना के योग्य माना जाएगा। सरकार के ऐसे निर्णय से डेढ़ लाख से अधिक शिक्षक में नाराजगी देखी जा रही है। वहीं शिक्षकों और कर्मचारियों का दावा है कि ऐसी स्थिति में पूर्ण पेंशन के बदले आंशिक पेंशन भी मिलना कठिन हो जाएगा।
कैबिनेट में पुरानी पेंशन योजना को लागू रखने पर सहमति
दरअसल बीते दिनों कैबिनेट में पुरानी पेंशन योजना को लागू रखने पर सहमति बनी थी। दरअसल केंद्र सरकार के पीएफआरडीए द्वारा एनपीएस की राशि वापस नहीं देने की स्थिति में पुरानी पेंशन योजना को लागू रखा जाएगा। वही कैबिनेट निर्णय के तहत एनपीएस खाते में जमा कर्मचारी अंशदान और उस पर अर्जित लाभांश कर्मचारी को एनपीएस नियमों के तहत देनी होगी। कैबिनेट की बैठक में सरकार द्वारा शर्त रखा गया था कि कर्मचारियों को राज्य सरकार के अंशदान और उस पर अर्जित लाभांश जमा करने पर ही पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा।
कर्मचारियों की मांग
वही अब 10 साल की सेवा अवधि की बाध्यता पर छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, जिला अध्यक्ष रमेश कुमार चंद्रवंशी का कहना है कि 30 दिसंबर के राज्य कैबिनेट के निर्णय से लाखों कर्मचारियों को बड़ा नुकसान लगेगा। प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि शिक्षक सेवानिवृत्ति पर राज्यांश राशि जमा करेंगे लेकिन ऐसे में राज्य शासन को पहले यह निर्णय लेना चाहिए कि पेंशन के लिए एलबी संवर्ग के शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति से उनकी सेवा की गणना की जाएगी।
अंतिम महीने के वेतन के 50% के बराबर प्रतिमाह पेंशन की मांग
इस मामले में जिला अध्यक्ष चंद्रवंशी का कहना है कि कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग इसलिए कर रहे थे क्योंकि सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें अंतिम महीने के वेतन के 50% के बराबर प्रतिमाह पेंशन के रूप में मिले। ऐसे में जो कर्मचारियों को इसका लाभ भी नहीं मिल रहा है तो पुरानी पेंशन योजना का कोई महत्व नहीं है। राज्य शासन को स्पष्ट करना चाहिए कि सेवानिवृत्ति पर कर्मचारियों को मासिक पेंशन का 50 फीसद राशि पेंशन के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। तभी कर्मचारियों से एफिडेविट लेने की बात की जाए।
कर्मचारियों का कहना है कि शपथ पत्र मांगने का मतलब यह कि कर्मचारी के देयक पर शासन भ्रम पैदा कर रही है। सेवानिवृत्ति और निधन की स्थिति में एनपीएस नियम के तहत उन्हें 60% राशि प्राप्त हो। राज्य शासन के अंशदान और उस पर स्थित लाभांश शासन के खाते में जमा करने से कर्मचारी के पेंशन शुरू होगी। यह नियम बनाए जाने के बाद ही कर्मचारियों को एफिडेविट जमा करना चाहिए।
17240 करोड़ रूपए अभी पीएफआरडीए में जमा
पूर्व में प्रदेश के कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत हर महीने राशि जमा कराई जाती थी। पुरानी पेंशन योजना के राज्य में बंद होने के साथ ही 1 अप्रैल 2022 की स्थिति में पूरे प्रदेश में एनपीएस के कर्मचारियों के 17240 करोड़ रूपए अभी पीएफआरडीए में जमा है। ऐसी स्थिति में पीएफआरडीए द्वारा एनपीएस की राशि वापस नहीं करने का निर्णय लिया गया है। जिस पर राज्य शासन द्वारा कोर्ट जाने की तैयारी की गई है।